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नमस्कार असलमलेकुम सस्त्रियकाल आपका स्वागत है हमारे इस चैनल फिल्मी फीडबैक में अगर आप हमारी वीडियो पहली बार देख रहे है तो दिल से धन्यवाद और जो दुबारा आये है हमारे चैनल पर तो उनको एक बात कहना कहता हूँ लाइक और सब्सक्राइब कर दो सर जी, जिससे की आपका और हमारा रिश्ता फेविकोल के तरह जुड़ जाये ताकि मेरी हर आहट की खबर आपको हो तो फ्रेंड्स आज हम बात करने वाले हैं साल 2024 में आई हुई ACTION, DRAMA और THRILLER MOVIE Raazi के बारे में इस मूवी के स्टोरी एक्सप्लेन का रिक्वेस्ट @ShashiShukla ने किया है

 

2 घंटे 18 मिनट की इस मूवी में आप जान पायेंगे की एक 20 साल की लड़की जो थोड़ा सा भी खून को बहता हुआ देख लेती थी तो डर जाती थी और उस लड़की ने दो कत्ल कर डाले थे और उसकी वजह से दो लोग और मारे गए थे लेकिन वह तो एक आम लड़की थी तो उसने ऐसा कैसे किया वह सिर्फ कॉलेज जाती थी और पढ़ाई करती थी लेकिन अचानक से वह एक एजेंट बन जाती है और उसे करी ट्रेनिंग दी जाती है और इतना सिखाया जाता है की अगर उसे अपने देश के लिए जान भी गंवानी पड़े तो वह एक बार भी नहीं सोचेगी और देश के लिए कुर्बान हो जाएगी और सारी हदें पार कर देगी

इस मूवी के स्टार कास्ट की बात करें तो Alia Bhatt है मूवी में जिन्हें Sehmat Khan के नाम से जानेंगे

Vicky Kaushal है मूवी में जिन्हें Iqbal Syed के नाम से जानेंगे

Rajit Kapoor है मूवी में जिन्हें Hidayat Khan के नाम से जानेंगे इनके अलावा और भी किरदार इस मूवी में दिखाई देंगे

इस मूवी के डायरेक्टर Meghna Gulzar है और राइटर Harinder Sikka और Meghna Gulzar है

इस मूवी की शुरुआत में हम INS विराट SHIP को देखते हैं जिस पर हमारे देश की हर सेना के जवान मौजूद होते हैं और वहीं पर इंडियन आर्मी ऑफिसर लेफ्टिनेंट जनरल अनिल बख्शी उन सभी को यह बता रहे होते हैं कि 1971 में जो पाकिस्तान के खिलाफ जंग हुई थी उसमें हमारे देश की सेना का बहुत बड़ा योगदान था और जंग जीत लिया गया था वह कहते हैं कि उस जंग में जब हमारी सेना का ही नहीं बल्कि और भी कई लोगों का योगदान था जिसमें से एक 20 साल की लड़की भी थी जिसने इस देश को बचाने के लिए सारी हदें पार कर दी थी

उसके बाद कहानी फ्लैशबैक में जाती है और हमें 1971 का समय दिखाया जाता है जहां हम देखते हैं कि पाकिस्तानी आर्मी के ब्रिगेडियर परवेज सैयद ऑफिसर्स को यह जानकारी दे रहे होते हैं कि मुक्ति नाम का संगठन बनाया गया है जो हमारे खिलाफ काम कर रहा है और वह इंडिया की मदद करता है तो इसको हमें जल्द ही खत्म करना होगा उसके बाद वह हिदायत खान नाम के आदमी से मिलता है जो कि परवेज सैयद के लिए जासूस का काम करता था और कश्मीर में रहकर भारत की सारी खुफिया बातें परवेज को बताने का काम करता था परवेज को मुक्ति फौज के लीडर के बारे में सब कुछ जानना था कि वह भारत को किस तरह की जानकारी दे रहा है तो यह काम हिदायत को करने को कह देता है हिदायत काम करने के लिए माना जाता है लेकिन फिर कहता है कि मुझे लंग्स में ट्यूमर हो गया है ऐसा लगता है मैंने जिंदगी के कस कुछ ज्यादा ही ले लिए

परवेज़ यह बात सुनकर काफी उदास हो जाता है क्योंकि वह उसे अपना दोस्त मानता था तो वह कहता है कि तुम्हें अगर कोई मदद चाहिए हो तो मुझे जरूर बताना अब हिदायत खान अपने घर वापस आ जाते हैं और तब हम इंटेलिजेंस ब्यूरो के एजेंट खालिद जमीर को देखते हैं और तब हमें यहां पता होता है कि असलियत में हिदायत खान पाकिस्तान के लिए नहीं बल्कि हिंदुस्तान के लिए जासूसी का काम करते हैं वह परवेज सैयद को उतनी ही खबर बताते थे जितनी raw को जरूरत है और ऐसे ही उन्होंने ब्रिगेडियर परवेज का भरोसा जीत लिया था तो उन्हें वहां की जानकारी लेने में काफी आसानी होती थी लेकिन अब उनके लंग्स में ट्यूमर हो गया था पर उस वक्त उन्हें यकीन था कि पाकिस्तान कुछ ना कुछ तो गलत करने वाला है क्योंकि उस टाइम जंग की ही बात चल रही थी तो पाकिस्तान के प्लान को जानना बहुत जरूरी हो गया था इसीलिए वह अपनी बेटी सहमत को एजेंट बनाकर पाकिस्तान भेजने की बात कर रहे होते हैं एजेंट खालिद ऐसा करने को मना करते हैं क्योंकि उनकी बेटी अभी कॉलेज की पढ़ाई कर रही होती है और उसे जासूसी के बारे में कुछ भी नहीं पता था लेकिन हिदायत इस बात पर अड़े होते हैं कि मेरी बेटी यह काम कर लेगी और वह करके दिखाएगी जो मै नहीं कर पाया और ऐसा करने के लिए आपको ही उसे सिखाना पड़ेगा

 

अब इसके बाद हम हिदायत खान की बेटी सहमत खान को देखते हैं जो कि दिल्ली यूनिवर्सिटी में पढ़ाई कर रही थी हम देखते हैं कि सहमत के पैर में कांच का ट्कुड़ा घुस जाता है और खून बहने लगता है तो वह अपने दोस्त से कांच निकालने को कहती है क्योंकि उसे खून देखकर बहुत डर लगता था उसकी दोस्त डॉक्टर को कॉल करने के लिए फोन उठाती है तो सहमत को डॉक्टर का नंबर पूरा याद होता है जिसे देखकर वहां बैठा पेओन काफी हैरान हो जाता है सहमत के दोस्त मुस्कुराते हुए बताती है कि एक बार यह कोई नंबर देख लिया या डायल कर ले उसके बाद वह नंबर यह कभी बोलती भूलती ही नहीं है

अब थोड़ी ही देर बाद सहमत के पिता का फोन आ जाता है और वहां से घर आने के लिए कह देते हैं लेकिन सहमत को यह नहीं बताते कि वापस बुलाने की असली वजह क्या है घर पहुंचने पर सहमत को थोड़ा-थोड़ा एहसास होने लग जाता है कि शायद कुछ तो गड़बड़ है और कोई तो बात है जो उसके पिता उससे छुपा रहे हैं सहमत के जिद करने पर उसके पिता बताते हैं कि बंगाल में जंग के हालात बनती जा रही है और पाकिस्तान कुछ ऐसा करने में लगा है जिससे कि हिंदुस्तान उस जंग में शामिल ना हो पाए लेकिन पाकिस्तान ऐसा क्या कर रहा है यही पता नहीं चल पा रहा है और यह पता करने के लिए मेरे पास वक्त भी नहीं बचा है हिदायत अपनी बेटी को बता देता है कि उसके लंग्स में ट्यूमर है और अब वह बस कुछ दिनों का ही मेहमान है

यह बात सुनते ही सहमत काफी ज्यादा टूट जाती है और रोने लग जाती है पिताजी कहते हैं कि इस वक्त हमें किसी भी मुश्किल के लिए तैयार होना बहुत जरूरी है इसलिए मैं चाहता हूं कि मेरी जगह तुम ले लो और हिंदुस्तान की आंख और कान बनकर पाकिस्तान में रहो सहमत की मां भी वहीं बैठे रो रही होती हैं और कहती हैं कि कैसे उसे पाकिस्तान में रहना है जरा वह भी उसे बता दो पिताजी बताते हैं कि पाकिस्तान में मेरे दोस्त ब्रिगेडियर सहिद रहते हैं और उनके छोटे बेटे इकबाल से तुम्हारे निकाह की बात मैंने कर ली है इंटेलिजेंस ब्यूरो ने हां कर दी है और फैसला हम पर है सहमत इतना सब कुछ सुनने के बाद एकदम सुन्न पड़ जाती है और वह उस वक्त कुछ भी नहीं बोल पाती है क्योंकि जो फैसला उसे लेना था वह बहुत ही बड़ा था जो कि एकदम से तो नहीं लिया जा सकता था अब हम देखते हैं कि सहमत के दिमाग में वही सब बातें चल रही होती हैं तभी उसके पिताजी उसके पास आते हैं और वापस कॉलेज जाने के लिए कहने लग जाते हैं और कहते हैं कि शायद मैं तुमसे जो करने के लिए कह रहा था वह ज्यादा गलत है और मुझे तुमसे यह नहीं कहना चाहिए था

सहमत उनसे पूछती है कि आप मुल्क के लिए अपने आप को खतरे में क्यों डालते हो सहमत के पिताजी जवाब देते हैं यह मेरे पिता ने मुझे सिखाया था और मुझे जो सिखाया गया वहीं कर रहा था लेकिन तुमसे वही सब कराना सही नहीं लग रहा सहमत कहती है कि अगर आप चाहते हो तो मैं कॉलेज वापिस चली जाऊंगी लेकिन मेरे अब्बू ने भी मुझे वही तालीम दी है कि वतन के आगे कुछ भी नहीं यहां तक कि खुद भी नहीं और अगर यह गलती है तो फिर देश की हिफाजत के लिए बेटों को फौज में डालना भी गलती है यह बात सुनकर हिदायत खान काफी इमोशनल हो जाते हैं क्योंकि जो बाद सहमत ने कही थी उससे यह तय हो चुका था कि वह यह काम करने के लिए तैयार है

अब एजेंट खालिद सहमत की ट्रेनिंग कराने के लिए उसे अपने साथ ले जाते हैं तभी वह अपने असिस्टेंट निकल बख्शी से उसकी मिलवाते हैं और बताते हैं कि अब से यह आपके साथ ही रहेंगे एजेंट खालिद कहते हैं कि आप फील्ड एजेंट है और आपके आगे एक लक्ष्मण रेखा खींच दी जाएगी और आपके सारे काम उसी रेखा के अंदर ही होंगे और आप अपनी मर्जी से कोई भी एक्शन नहीं लेगी जो जानकारी आपको हासिल हो इससे आपको आगे पास करते रहना है और आपको अपने आंख और कान हमेशा खुले रखने हैं अगर तुम्हें कभी ऐसा लगे कि तुम्हारा राज खुल चुका है तो समझ लेना कि आपकी जान को खतरा है और तुम बस हमें सिग्नल दे देना हम लोग तुम्हें वहां से निकाल लेंगे सहमत कहती है कि आपको यही लगता है कि शायद यह काम नहीं कर पाऊंगी एजेंट खालिद कहते हैं कि अभी मैं कुछ भी नहीं कह सकता हूं लेकिन ट्रेनिंग के बाद यह बात मुझे दोबारा पूछना तब हो सकता है सवाल का जवाब मेरे पास हो खालिद बताते हैं कि हम तुम्हें तभी कांटेक्ट करेंगे जब तुम इशारा दोगी और कभी भी डायरेक्ट कॉल पर बात नहीं हो सकती वरना पकड़े जा सकते हैं और जो भी इन्फॉर्मेशन आएगी वह coad के जरिए ही आएगी इसीलिए के घर पर बैठे के एक एक अल्फाबेट का सिंबल तुम्हें याद करना होगा अब एजेंट खालिद सहमत को ससुराल वालों के कोड नेम बताते हैं

पहला तो सहमत के ससुर का जो कि परवेज शाहिद होते हैं तो उनका कोड द ईगल होता है फिर आते हैं मेजर महबूब शाहिद जो कि इकबाल के बड़े भाई होते हैं तो उनका कोड द कैट होता है देखा है और वही उनकी बीवी मुनीरा का कोड नहीं होता है द माउस अब सहमत की ट्रेनिंग पूरे जोरों शोरों से शुरू हो जाती है उसके बाद एजेंट खालिद सहमत को फिजिकल के साथ साथ मेंटली भी तैयार करने लग जाते हैं बीच-बीच में एजेंट खालिद अचानक से सहमत के ऊपर कुछ फेंक दिया करते थे ताकि वह देख सकें कि वह इतनी ज्यादा सतर्क है लेकिन सहमत हर बार इस टेस्ट में नाकामयाब ही होती थी



एजेंट खालिद सहमत को एक आदमी और एक औरत की फोटो दिखाते हैं जिनका नाम कबीर मुर्तजा और पल्लवी खालिद बताते हैं कि इन्हीं से तुम्हें सारी जानकारी शेयर करनी होगी लेकिन कभी भी तुम डायरेक्ट कॉल नहीं कर सकती हो जो नंबर दिया जाएगा उसको डायल करने के बाद 2 बार रिंग होगी उसके बाद कॉल को कट कर देना है उसके बाद एक सिक्योर लाइन से ही तुम्हें कॉल किया जाएगा फिर इसके बाद खालिद सहमत को एक चीज दिखाते हैं जो कि एक किस्म का जहर होता है जिसे रायजाल कहते हैं वह बताते हैं कि अगर कभी किसी को रास्ते से हटाना होगा तो तुम्हें इसका इस्तेमाल करना होगा इस बात से सहमत थोड़ा डर जाती है क्योंकि उसने तो यह बिल्कुल भी नहीं सोचा था कि खतरा होने पर उसे किसी को मारना भी पड़ सकता है एजेंट खालिद एक पेज देते हैं जिसमें कि कई सारे एमरजैंसी नंबर लिखे हुए थे तो सहमत से याद करने को कहते हैं सहमत नंबर को याद करने में बहुत ही ज्यादा एक्सपर्ट थी वह नंबर को देखते ही अपने दिमाग में उन्हें छाप लेती है यह देखकर एजेंट खालिद थोड़ा हैरान हो जाते हैं कि इतनी जल्दी कैसे कोई याद कर सकता है तो वह इसका टेस्ट लेने लग जाते हैं सहमत सारे नंबर सही-सही बताने लग जाती है जिस बात से खालिद सहमत से काफी ज्यादा इंप्रेस हो जाते हैं वैसे ही ट्रेनिंग करते हुए समय बीतता चला जाता है

सहमत अब तक पहले से काफी ज्यादा कुछ सीख चुकी थी उसे कब कैसे क्या करना है क्या एक्शन लेना है वह सब कुछ जान चुकी थी अब एक दिन सहमत कहीं जा रही होती है कि तभी पीछे से आकर उसके कंधे पर हाथ रखते हैं कि तभी सहमत तुरंत एक्शन लेते हुए उन्हें सीधा जमीन पर पटक देती है इस बात से एजेंट खालिद नाराज नहीं होते बल्कि खुश होते हैं क्योंकि अब सहमत पूरी तरह से चौकन्नी होकर हर जगह नजर रखना सीख गई थी सहमत एजेंट खालिद से फिर से वही सवाल करती है कि क्या आपको लगता है कि मैं कर पाऊंगी एजेंट खालिद जवाब देते हैं कि मुझे लगता नहीं है बल्कि मुझे यकीन है कि तुम कर लोगी

उसके बाद हम देखते हैं कि शादी वाला दिन आ जाता है और तब पहली बार हम इकबाल शाहिद को देखते हैं जिसके साथ सहमत की शादी होने वाली थी सारी रस्में निभाने के बाद आखिरकार सहमत की शादी इकबाल से ही जाती है और सहमत इकबाल के घर आ जाती है जो कि पाकिस्तान में था घर में आने पर मुनीरा सहमत को घर के सभी लोगों से मिलवाती है और तब सहमत की मुलाकात होती है अब्दुल से जो कि उस घर का सबसे पुराना नौकर था और ब्रिगेडियर परवेज़ शाहिद का वफादार था अब हम देखते हैं कि सहमत बैडरूम में बैठी थी तभी वहां पर इकबाल आता है लेकिन उसके साथ कुछ भी करने के इरादे से नहीं आता है क्योंकि उसका यह मानना था कि भले ही हमारी शादी हो गई है लेकिन अभी हम एक दूसरे को नहीं जानते हैं तो पहले जान लें तभी कुछ अच्छे से होगा इसीलिए वह सोफे पर जाकर सो जाता है अब सहमत धीरे-धीरे उस परिवार में घुलने मिलने लग जाती है और सभी का भरोसा जीतने लग जाती है ताकि वह अपना काम काफी अच्छे तरीके से कर सके और ज्यादा से ज्यादा जानकारी जुटा सके एक दिन सहमत सबको खुश करने के लिए नाश्ता बना रही थी तभी वहां पर अब्दुल नाश्ता बनाने से मना कर देता है और कहता है कि उसके लिए हमारे यहां बावर्ची रखे गए हैं मुनीरा सहमत को बताती है कि अब्दुल इस घर को लेकर कुछ ज्यादा ही पसेसिव है तो इसीलिए उसने तुम्हारे साथ ऐसा बर्ताव किया यह भी हो सकता है कि तुम इंडिया से हो शायद इसलिए भी क्योंकि वह बंटवारे के बाद यहां पाकिस्तान आया था सहमत अब सभी पर नजर रखने लग जाती है कि कौन कब कहां जाता है और घर में कौन आता है और क्या-क्या मीटिंग चलती हैं हिदायत खान का ब्रिगेडियर परवेज़ शाहिद यहां सहमत की शादी करवाने का यही एक मेन रीजन था कि परवेज़ पाकिस्तानी आर्मी के मेन आदमी थे तो सभी चीजें पता चल सकती थी

और इकबाल भी पाकिस्तानी ऑफिसर ही था तो कुल मिलाकर घर के सभी मर्द पाकिस्तानी आर्मी में ही थे तो काफी जानकारी मिल सकती थी लेकिन खतरा भी उतना ही ज्यादा था इसी बीच हम देखते हैं कि इकबाल और सहमत के बीच धीरे-धीरे दूरियां करीबियां में बदलती जा रही थी क्योंकि सहमत को लेकर इकबाल का नेचर काफी अच्छा था और वह कभी भी अनकंफरटेबल फील होने नहीं देता था और इन्हीं सब चीजों के कारण सहमत के दिल में इकबाल के लिए फीलिंग्स जागने लगी थी हम देखते हैं कि अब्दुल सहमत पर हमेशा नजर रखता था क्योंकि अब्दुल को सहमत पर बिल्कुल भी यकीन नहीं था उसके बाद सहमत छत पर कपड़े सुखाने के लिए तार बांध देती है ठीक उसी तरह जैसे हम एंटीना के जगह तार बांध देते थे ताकि सिग्नल आ जाए फिर उसी तार का एक पॉइंट बाथरूम में निकाल लेती है फिर उसे कोड भेजने वाली मशीन को फिट करके कोड भेजने लग जाती है सहमत मशीन को अपने मेकअप बॉक्स में छुपाकर लाई थी तो शायद उस पर कोई शक ना करें सहमत अपना पहला मैसेज भेजती है कि गल दर्द कर रहे हैं जिसका मतलब यह होता है कि वह सही सलामत है और सब कुछ सही चल रहा है जासूसी के वक्त कोई भी मैसेज डाइरैक्टली नहीं बोला जाता बल्कि हर शब्द घुमा-फिराकर या फिर बोलने में कोडवर्ड का इस्तेमाल किया जाता है ताकि कोई और अगर समझने की कोशिश भी करे तो वह समझ ना पाए

 
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अब हम देखते हैं कि सभी लोग साथ में बैठकर खाना खा रहे होते हैं तब सहमत नोटिस करती है कि परवेज़ शाहिद काफी परेशान से लग रहे हैं उनकी परेशानी का कारण यह था कि सीनियर ऑफिसर जनरल बैग किसी और को जनरल मेजर बना रहे थे इस बात से परवेज़ नाखुश थे लेकिन परवेज़ शाहिद का जनरल मेजर बनना बहुत जरूरी था क्योंकि तभी और भी ज्यादा जानकारी मिल सकती थी अगले दिन हम देखते हैं कि सहमत घर से गाड़ी में बैठकर बाजार जाती है लेकिन फिर थोड़ी दूर जाते ही वह बुर्का पहन लेती है और फिर एक चैंपियंस नाम के रिक्शा वाले के पास जाती है जो कि रॉ के लिए काम करता था फिर रिक्शावाला सहमत को सर्वर नाम के आदमी के पास ले जाता है जो मस्जिद के बाहर फूल बेचा करता था और यह भी रॉ के लिए काम करता है वहां पर सहमत फोन पर कबीर मुल्तुजा से बात करती है और बताती है कि परवेज का जनरल मेजर बना मुश्किल लग रहा है इसीलिए कुछ करना ही पड़ेगा

अब अगले दिन हम देखते हैं कि सहमत के पिता ने बहुत से तोफे भेजे होते हैं और उसी में से एक तोहफा परवेज के लिए भी था जो कि एक सोल होती है परवेस जब सोल को लाइट में देखते हैं तो उसमें कुछ लिखा था जो कि मुक्ति फौज के कैंप का लोकेशन होता है इस इंफोर्मेशन को देने के बाद जनरल बैग काफी खुश होते हैं और परवेज़ शाहिद को ही जनरल मेजर बना देते हैं और यही चीज रॉ चाहती थी अब एक रात हम देखते हैं कि परवेज़ शाहिद अपने घर के ऑफिस में होते हैं तो वह सहमत को उसकी चाबी पकड़ा देते हैं और कहते हैं कि इसे बंद करके चाबी मुझे दे जाना और फिर इतना कहने के बाद सोने चले जाते हैं सहमत को यह बहुत ही अच्छा मौका मिल गया था जासूसी करने का तो वह आधी रात में ऑफिस के अंदर जाती है और वहां पर हर जगह माइक्रोफोन फिट कर देती है ताकि वहां की सारी बातें सुन सके फिर इसके बाद वह साबुन में चाबी की डिजाइन बना लेती है ताकि वह उसकी डुप्लीकेट चाबी बनवा सके और फिर चुपचाप जाकर चाबी परवेज़ के पास जा कर रख देती है फिर अगले दिन सहमत अपना गेटअप चेंज कर के सर्वर के पास जाती है और वही साबुन पकड़ा देती है और फिर थोड़ी देर बाद उसे नकली चाबी बनकर मिल जाती है अब यहां पर एक खबर पता चलती है कि जनरल बैग फील्ड एक्सरसाइज से वापस आ गए हैं और जो मीटिंग परवेज़ शाहिद के घर पर हुआ करती थी वह जनरल बैग के घर होगी तो इन्फॉर्मेशन मिलना काफी मुश्किल हो जाएगा

लेकिन सहमत ने यह यकीन दिला दिया था कि वह कैसे भी करके जानकारी निकाल कर रहेगी जिसका मतलब यह था कि वह काफी बड़ा खतरा उठाने जा रही थी तभी सहमत को एक बहुत बुरी खबर मिलती है कि उसके पिता का देहांत हो गया है सहमत इकबाल के साथ इंडिया आती है क्योंकि पिताजी को अंतिम विदाई देने थी और इस वक्त सहमत काफी ज्यादा दुखी हो जाती है क्योंकि उसके पिता उससे बहुत क्लोज थे और उनको बहुत मानती थी और प्यार भी करती थी सहमत अपने दुख को दवा देता है और अपने घर में ज्यादा टाइम के लिए नहीं रूकती है क्योंकि उसे अपना मिशन पूरा करना था इसलिए पाकिस्तान वापस चली जाती है अब हम देखते हैं कि इकबाल सहमत के पास आता है और उसे एक पायल गिफ्ट कर देता है और कहता है कि यह पायल मेरी मां की है जिसे मैं तुम्हें देना चाहता हूं और तुम यहां कभी भी खुद को अकेले मत समझना क्योंकि मैं हमेशा तुम्हारे साथ हूं इकबाल सहमत को पायल पहनाकर वहां से जाने लगता है तो सहमत उसे रोक लेती है और कहती है कि अकेले मुझे नींद नहीं आ रही है इकबाल वहीं पर रुक जाता हैं फिर इसके बाद उनके बीच एक खिंचाव होना शुरू हो जाता है और वह दोनों एक दूसरे से चुंबक की तरह खींचते हुए चले जाते हैं और आपस में इंटीमेट हो जाते हैं

अगले दिन हम देखते हैं कि सहमत मुनीरा के पास जाती है तो देखती है कि वहां और भी कई औरतें बैठी होती हैं मुनीरा बताती है कि यह सभी आर्मी स्कूल की टीचर है स्कूल में एनुअल फंक्शन होने वाला है इसलिए मैं भी कभी कभी हाथ बटा देती हूं इस बात पर सहमत कहती है कि मैं भी हिस्सा लेना चाहती हूं मैं बच्चों को गाना सिखाउंगी सहमत गाना सिखाने के लिए 15 बच्चों को चुन लेती है जिसमें कि जनरल बैग का पोता जॉन बैक भी शामिल होता है अब सहमत बच्चों को एक देश भक्ति गाना सिखाने लग जाती है तभी उसे पता चल यह है कि जॉन बैक को ज्यादा अच्छे से गाना नहीं आता जॉन बैग को चुनना उसके पूरे प्लान में शामिल था क्योंकि वह यही चाहती थी गाना सिखाने के बहाने जनरल बैग के घर में एंट्री मिल सके और फिर ऐसा ही होता है सहमत गाना सिखाते-सिखाते वहां पर सब के आने-जाने पर नजर भी रखने लग जाती है



मौका मिलते ही सहमत जनरल बैग के ऑफिस में घुस जाती है और तब वहां उसे एक लाल कलर की फाइल मिलती है उस फाइल को जब वह खोलती है तो उस पेपर पर सबमरीन बनी हुई दिखाई पड़ती है और उसमें इंडिया का मैप भी होता है और देखने पर लग रहा होता है जैसे कि पाकिस्तान कुछ बड़ा करने वाला है सहमत ने सारी इन्फॉर्मेशन इंडिया में पहुंचा दी थी तो एजेंट खालिद नेवी ऑफीसर्स को यह बता रहे होते हैं कि पाकिस्तान जरूर पानी के रास्ते हम पर हमला करने वाला है इसलिए हमें सतर्क हो जाना चाहिए वरना कोई बहुत बड़ी घटना हो सकती है

अब रात होने पर अब्दुल इकबाल के पास आता है और कहता है कि बड़े साहब ने कहा है कि आप तैयार हो जाए क्योंकि जरूरी मीटिंग पर जाना है परवेज़ शाहिद इकबाल और महबूब शाहिद सभी मीटिंग के लिए रवाना हो जाते हैं उसके बाद सहमत अपने काम में लग जाती है सहमत उस लाल फाइल को ले आती है और जो भी कुछ उसमें लिखा होता है उसे कोड में ट्रांसफर करके जानकारी भेजने लग जाती है जाती है तभी वहां पर एक ऑफिसर आता है और अब्दुल से वहीं लाल फाइल लाने को कहता है अब्दुल ऑफिस में फाइल लेने के लिए जाता है लेकिन उसे फाइल कहीं भी नहीं मिलती है तो वह इधर-उधर ढूंढने लग जाता है सहमत अब्दुल के निकल जाने पर फाइल लेकर ऑफिस जाने लगती है लेकिन तभी वहां पर परवेज आ जाता है तो सहमत फाइल को टेबल पर रख देती है और आज वह पकड़े जाने से बाल-बाल बच जाती है सहमत जब अपने कमरे में जाती है तो देखती है कि अब्दुल उसके ही बाथरूम में होता है और उसने वॉइस कोड की मशीन देख ली है और अब्दुल को सारी बात समझ में आ गई थी अब्दुल यह जानकारी देने के लिए घर से भागकर परवेज़ शाहिद के पास जाने लगता है तो सहमत भी उसके पीछे भागती है सहमत को रास्ते में एक जीप मिल जाती है तो वह उसी से उसका पीछा करती है और फिर ना चाहते हुए भी अब्दुल के ऊपर गाड़ी को चढ़ा देती है और उसे वक्त सहमत रोने लगती है जो कि आज तक उसने एक मच्छर को भी नहीं मारा था लेकिन आज एक आदमी को कुचलकर मार दिया है

इसके बाद सहमत घर आती है और मुर्तजा को कोड वर्ड में बता देती है कि छत टपक रही थी तो मरम्मत कर दी हैं फिर वह वॉइस कोड मशीन को निकालकर छुपा देती है सहमत ने जो किया था वह करना नहीं चाहती थी लेकिन फिर भी उसे करना पड़ा था और एक इंसान को मार डाला यह बात सहमत को पूरी तरीके से हिला कर रख देती है उसके बाद हम देखते हैं कि अब्दुल मरता नहीं है और काफी क्रिटिकल कंडीशन में उसे अस्पताल में एडमिट किया जाता है और कैसे भी करके वह इकबाल के बड़े भाई महबूब को बुलाने के लिए कहता है उधर हम देखते हैं कि जो कोड सहमत ने भेजे थे उसे कोड को एजेंट खालिद और निखिल बख्शी क्रैक करने में कामयाब हो जाते हैं और उन्हें यह पता चलता है कि पाकिस्तान पानी के रास्ते हमला करने वाला है और जो हमारा ship ins विक्रांत है उसी को ध्वस्त करने के फिराक में है

अब हम देखते हैं कि मेजर महबूब अब्दुल के पास जाते हैं और अब्दुल उन्हें सच्चाई बताने की कोशिश करता है लेकिन उसकी हालत इतनी ज्यादा खराब थी कि वह कुछ भी नहीं बोल पाता है एजेंट खालिद सहमत द्वारा मिली सभी जानकारी आर्मी और नवी ऑफीसर्स को दे देते हैं लेकिन ऑफिसर का यह कहना होता है कि उन्हें अपनी तरफ से ऐसी कोई भी जानकारी नहीं मिली है तो हो सकता है कि यह खबर उतनी सही ना हो इसलिए जब तक खबर पूरी तरह से वेरीफाई नहीं हो जाती तब तक हम कोई भी एक्शन नहीं ले सकते है अब हमें यहां पता चलता है कि अब्दुल की मौत हो गई है लेकिन महबूब एक चीज दिखाता है और बताता है कि एक चीज मुझे अब्दुल के हाथ में मिला था सहमत उस चीज को देखकर काफी घबरा जाती है क्योंकि वह मशीन का एक पुर्जा था तो अगर उसकी तहकीकात हो जाती तो उसका राज़ खुल सकता था महबूब को अब्दुल के जाने का बहुत दुख था और वह यही पता लगाना चाहता था कि अब्दुल की मौत आखिर हुई कैसे तो वह पूरे जोश के साथ तहकीकात करने में जुट जाता है क्योंकि उसे लग रहा था कि अब्दुल को मारने में कुछ तो बहुत बड़ा राज़ छुपा हुआ है महबूब को अब्दुल के कातिलों को पकड़ने का जुनून बढ़ता ही जा रहा था जो कि सहमत के लिए काफी खतरा बढ़ता जा रहा था इसलिए सहमत इस बात से काफी डरने लगी थी

सहमत कबीर मुर्तजा को यह खबर देती है तो मुर्तजा कहता है कि बिल्ली को गर्म अपने की जरूरत नहीं है उसे घर से निकाल दो और कुछ देर बाद बारिश होने वाली है तो छाता जरूर ले लेना मुर्तजा ने कोड वर्ड में यह कहा था कि महबूब को रास्ते से हटाना ही सही रहेगा उसके अलावा और कोई चारा नहीं है तभी वहां पर एक आदमी छाता बेचने आता है तो सहमत समझ जाती है कि शायद मुर्तजा इसी छाते की बात कर रहा था तो वह छाता ले लेती है उसके बाद सहमत घर आ जाती है और अपनी सेंडल में छुपा हुआ वह राइसील नाम का जहर बाहर निकालती है क्योंकि अब उसका इस्तेमाल करने का वक्त आ गया था जो छाता उसने लिया था वह कोई मामूली छाता नहीं था बल्कि एक इंजेक्शन की तरह वह छत काम करता था तो सहमत इस छाते में जहर डाल कर पूरी प्लानिंग कर लेती है फिर उसके बाद सहमत के पास वॉइस कोड मशीन का समान था उसे पॉलिथिन में पैक करके अब्दुल के कमरे में रख देती है क्योंकि अब्दुल तो मर चुका था तो अगर कुछ पकड़ा भी जाता तो इल्जाम उस पर ही लगेगा

इसके बाद सहमत अपना गेटअप चेंज करके वही छाता लेकर एक ऑफिस में जाती है जहां महबूब आने वाला था महबूब के आते ही सहमत बड़ी चालाकी से जहर को उसके शरीर में इंजेक्ट करने में कामयाब हो जाती है और तुरंत वहां से निकल जाती है थोड़ी देर बाद महबूब अपना होश खोते हुए सीढ़ियों से गिर जाता है और उसकी तुरंत मौत हो जाती है थोड़ी देर बाद हम देखते हैं कि पाकिस्तानी एजेंट सर्वर और इम्तियाज को पकड़ लेते हैं क्योंकि उनकी जासूसी के बारे में उन्हें पता चल चुका था दूसरी ओर हम देखते हैं कि सहमत परवेज सैयद के ऑफिस में होती है और वहां टेबल पर मुर्तजा और उनकी पत्नी की सारी इन्फॉर्मेशन रखी हुई है जिससे यह पता चलता है कि उनका खुलासा हो चुका है सहमत अब एक और आदमी से जाकर मिलती है और उससे एजेंट खालिद की बात करवाने को कहती है क्योंकि अब हर कोई पकड़ा ही जा रहा है वह आदमी कहता है कि इस वक्त बात हो पाना काफी मुश्किल है क्योंकि पाकिस्तान को सब कुछ पता चल चुका है और लगता है कि अब जंग होकर रहेगी हम देखते हैं कि पाकिस्तानी एजेंट मुर्तजा भी पकड़ लिए जाते हैं अब सारे रास्ते बंद हो चुके थे और इन्फॉर्मेशन पास करने का तरीका भी बंद हो चुका था तो एजेंट खालिद सहमत को वहां से निकालने का आर्डर दे देते हैं



रात होने पर सहमत देखती है कि घर पर ही पाकिस्तानी फोर्स आ गई है और हर तरफ छानबीन करना शुरू कर देती है सहमत यह सब देखकर बहुत ही ज्यादा डर जाती है और तब उसके खयालों में वह सारी चीज याद आने लग जाती है कि उसने अब तक क्या-क्या किया है उसने दो लोगों का अपने हाथों से क़त्ल किया था वह बात उसे सबसे ज्यादा खाए जा रही थी अब अगली सुबह हम देखते हैं कि घर में बसीर अहमद नाम का एक सीनियर ऑफिसर आता है जो कि पाकिस्तानी आर्मी से ही बिलोंग करता था लेकिन तभी हमें पता चलता है कि वह सहमत से मिलने आया था और यह जानकारी देने आया था कि अगले 2 घंटे में उसे वहां से निकाला जा रहा है

उसके बाद इकबाल सहमत को बताता है कि हमारे घर से कुछ सिगनल्स मिले हैं तो मुनीरा को पुलिस स्टेशन ले जाया गया है और कुछ देर बाद तुम से भी पूछताछ करने के लिए ऑफिसर्स आएंगे तो तुम अपना स्टेटमेंट दे देना सहमत तुरंत ही एक औरत से मिलती है जो कि काफी पावरफुल थी तो उससे विनती करके मुनीरा को पुलिस स्टेशन से घर भिजवाने को कह देती है अब पुलिस को पता चल चुका था कि अब उनके हाथ में जो टुकड़ा मिला था वह वॉइस कोड मशीन का ही पार्ट्स है इसीलिए पुलिस अब्दुल के कमरे की तलाशी लेने के लिए आ जाती है छानबीन करने पर उन्हें वहीं पॉलिथीन मिल जाती है जो सहमत नहीं छुपाई थी तो अब सारा शक अब्दुल पर चला जाता है इकबाल वहीं पर मौजूद होता है तो यह जानने के बाद वह काफी ज्यादा हैरान हो जाता है क्योंकि उसे अब्दुल पर काफी भरोसा था कि वह काफी वफादार है ऐसा काम वह कभी कर ही नहीं सकता है और यह जानने के बाद इकबाल काफी दुखी हो जाता है और खूब रोता है उसके बाद सहमत घर वापस आ जाती है सहमत इकबाल का पर्स और गन देखकर समझ जाती है कि वह घर पर ही है वह नोटिस करती है कि उसके पर्स में एक पायल का टुकड़ा है और यह टुकड़ा सहमत के पायल का ही था जो इकबाल ने उसे दिया था इसका मतलब इकबाल को पता चल चुका था की असली जासूस सहमत है क्योंकि इकबाल को वह पायल का टुकड़ा अब्दुल के कमरे में मिला था और इस बात पर ही वह इतना ज्यादा रो रहा था क्योंकि उसने जिससे प्यार किया वह दूसरे मुल्क की जासूस है

उसके बाद इकबाल जब बाथरूम से बाहर आता है तो देखा है कि सहमत ने उसके ऊपर गंन तान रखी है क्योंकि सहमत को पता चल चुका था की इकबाल को उसकी पूरी सच्चाई के बारे में पता है और दोनों ही एक दूसरे को देखकर रो रहे होते हैं क्योंकि दोनों एक दूसरे से बेहद प्यार करने लगे थे और सच्चाई खुलने के बाद वह दोनों एक दूसरे के दुश्मन बनकर सामने आए थे

इकबाल रोते हुए उससे पूछता है कि हमारे बीच जो कुछ भी था उसमें कुछ भी सच था या नहीं सहमत रोते हुए जवाब देती है कि मैं अगर कुछ बोलूं भी तो तुम्हें यकीन नहीं होगा लेकिन सबसे बड़ा सच यह है कि हिंदुस्तान से जरूरी कुछ भी नहीं इकबाल कहता है कि मैंने तुमसे प्यार किया है लेकिन वतन से ज्यादा जरूरी प्यार भी नहीं है और इतना कहने के बाद वह आगे बढ़ता है लेकिन तभी वहां पर उस औरत का बच्चा आ जाता है जिससे मिलने के लिए सहमत गई थी सहमत बच्चे को ढाल बनाकर और बुर्का पहनकर वहां से चली जाती है इकबाल यह बात अपने पिता को बताता है और तब पूरी पाकिस्तानी फोर्स सहमत को पकड़ने के लिए निकल जाती है हम देखते हैं कि एजेंट खालिद बाकी एजेंट के साथ अपना हुलिया बदल कर एक जगह पर खड़े होते हैं क्योंकि उन्हें ही सहमत को रेस्क्यू करके इंडिया वापस ले जाना था सहमत वहां पर आ जाती है लेकिन तब हम देखते हैं कि इकबाल भी वहां पर पहुंच गया था उसे पकड़ने के लिए सहमत अब पकड़ी गई थी तो एजेंट खालिद सहमत को ही मारने का आर्डर दे देते हैं ताकि वह किसी को कुछ भी ना बता पाए खालिद के आर्डर पर एक एजेंट ग्रेनाइट फेंक देता है और फिर ग्रेनाइट के फटने से सहमत और इकबाल मारे जाते हैं

एजेंट खालिद ऐसा करना नहीं चाहता था मगर उससे यह कदम उठाना पड़ता है क्योंकि सहमत को वहां से निकल पाना मुश्किल था और उसे छोड़ भी नहीं जा सकता था और इस बात का खालिद को काफी दुख होता है उसके बाद हम देखते हैं कि एजेंट खालिद वहां से निकलने की तैयारी कर रहा था तभी दरवाजा खटखटाना की आवाज आती है और जब वह दरवाजा खोलते हैं तो सामने सहमत खड़ी थी और हमें पता चलता है कि सहमत पहले सरवर की दुकान में गई थी और वहां सहमत की जगह एक और औरत ने ले ली थी और सहमत कपड़े बदलकर दूसरे रास्ते से निकल गई थी इसका मतलब यह हुआ कि ब्लास्ट में वह औरत मारी गई थी और सहमत दूर खड़ी इस हादसे को देख रही थी जिसमें कि उसका पति इकबाल मारा गया था सहमत रोते हुए कहती है कि इकबाल को मारना हमारे इस प्लान में नहीं था तो उसे क्यों मारा और आपने तो मुझे भी मारने का ऑर्डर दे दिया था लेकिन मेरी जगह वह औरत मर गई खालिद कहता है कि वह फैसला तुम्हारा था तो उसका अंजाम भी तुम्हारे सर पर ही आएगा

सहमत चिल्लाते हुए कहती है कि मैंने अपनी पूरी जिंदगी आपके नाम कर दी लेकिन आपने तो मुझे ही मारने का सोच लिया था खालिद कहता है कि जंग में ऐसा ही होता है कई बेकसूर मारे जाते हैं लेकिन जंग और कुछ भी मायने नहीं रखता है सहमत रोते हुए कहती है कि इससे पहले मैं आप लोगों की तरह बन जाऊं मुझे घर पहुंचा दो क्योंकि मुझे वापस घर जाना है सहमत जब इंडिया वापस आती है तो उसे पता चलता है कि वह प्रेग्नेंट है सहमत बच्चे को गिराने से मना कर देती है और उसे इस दुनिया में लाने का सोच लेती है अब हम देखते हैं कि भारत देश की आर्मी को यह कंफर्म हो गया था कि पाकिस्तान अपने ship गाजी से ins विक्रांत पर हमला करने वाला है तो भारत पहले ही पाकिस्तान के ship को ढेर कर देता है और उसके बाद पाकिस्तान अपने घुटने टेक देता है और भारत यह जंग जीत जाता है

उसके बाद फिल्म प्रेजेंट में आ जाती है जहां पर लेफ्टिनेंट जनरल निखिल बक्शी बता रहे होते हैं कि जीत का जश्न मनाते हुए हम यह भी याद रखते हैं कि हमने क्या-क्या हारा है क्योंकि जंग में नुकसान सिर्फ जान का नहीं होता है कभी-कभी ऐसी कैजुअल्टीज भी हो जाती है तभी हमें वहां पर पर सहमत खान के बेटे समर सैयद को दिखाया जाता है जो कि अब वह भी फौज में शामिल हो गया था और उसे अपनी मां की थे दलेडी पर बहुत गर्व था इसके बाद हमें घर दिखाया जाता है और हम देखते हैं कि सहमत उसी घर में अकेले बैठे खिड़की के बाहर देख रही होती है और मूवी के अंत में उन सभी वीरों का नाम लिखा हुआ होता है जो हमारे देश के इतिहास में सहमत जैसे कई लोग गुमनाम हो गए हैं और यह मूवी यहीं पर खत्म हो जाती है

यह फिल्म रियल घटना से प्रेरित है की एक लड़की जिसने अपनी जान को दूर पर लगाकर भारत में हमला होने से बचाया था और ऐसे वीरों को हम दिल से सलाम करते हैं

तो फ्रेंड्स इस चैनल के माध्यम से हमने आपके लिए कई सारे मूवी का रिव्यू और वेब सीरीज का रिव्यू करके बताया है फ्रेंड्स क्या आपको मालूम है घर से दूर जाकर अपने सपनों को पूरा करना कितना मुश्किल का काम है एक आदमी जब घर से बाहर जाता है काम करने के लिए तो वह सिर्फ अपने लिए नहीं बल्कि पूरी फैमिली के लिए जाता है और उसी में उसके साथ होने वाली घटनाओं से वह बेखबर होता है अगर आप भी घर से बाहर कहीं दूर जाकर कमाने के बारे में सोच रहे हैं तो सबसे पहले आप उसे मूवी को देख ले ताकि जो उसे मूवी में गलती हुई है वह गलती शायद आप ना करें मैंने उस मूवी का लिंक नीचे डिस्क्रिप्शन में और ऊपर ए बटन में दे दिया है आप जरूर वॉच करें

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