तो नमस्कार भाइयों और उनकी प्यारी बहनों फिर से स्वागत है हमारे इस चैनल फिल्मी फीडबैक में CRIME और DRAMA मूवी DELHI CRIME Session 1 - 22 MARCH 2019 को HINDI और ENGLISH लैंग्वेज में NETFLIX पर सट्रिम कर दी गई थी 

DELHI CRIME WEB सीरीज SESION 1 में कुल मिलाकर 7 एपिसोड है और हर एपिसोड 60 से 80 मिनट के बीच का है यह सिर्फ एक सीरीज नहीं यह उस लड़की पर बीती हुई एक घटना है जो देर रात में उसके कपड़े उतार कर रोड पर छोड़ दिया गया था यह सिर्फ एक सीरीज ही नहीं बल्कि उस मां कीआंसू की कहानी है जो आपको भी रुलाने पर मजबूर कर देगी या सिर्फ एक कहानी नहीं की एक दर्दनाक हादसा है जो दिल्ली को हिला कर रख दी थी 

इस मूवी के स्टार कास्ट की बात करें तो Shefali Shah है जो कि इस सीरीज में DCP Vartika Chaturvedi का रोल प्ले करेगी  

Rasika Dugal है जो कि इस सीरीज में  Neeti Singh (IPS Trainee) का रोल प्ले करेगी 

Rajesh Tailang है जो कि इस सीरीज में  Inspector Bhupendra Singh का रोल प्ले  करेंगे

Anurag Arora है जो कि इस सीरीज में Sub-Inspector Jairaj Singh का रोल प्ले करेंगे

Adil Hussain है जो कि इस सीरीज में Kumar Vijay का रोल प्ले करेंगे

Gopal Datt है जो कि इस सीरीज में Sub-Inspector Sudhir Kumar का रोल प्ले करेंगे

Sidharth Bhardwaj है जो कि इस सीरीज में Sho Subhash Gupta का रोल प्ले करेंगे

इनके अलावा और भी किरदार इस सीरीज में दिखाई देंगे 

इस मूवी के डायरेक्टर Richie Mehta और Tanuj Chopra हैं

कहां जाता है दिल्ली भारत का दिल है यहां हर साल 10000 से ज्यादा अपराध दर्ज किए जाते हैं जिनको पुलिस द्वारा रोका नहीं जा सकता लेकिन देश की राजधानी दिल्ली में 16 दिसंबर 2012 की अंधेरी रात में एक ऐसी वारदात को अंजाम दिया गया था इसे सुनकर आज भी लोगों की रू कॉप जाति है और आंखें आंसुओं से भीगी जाति हैं एक चलती बस में 23 साल की मासूम सी लड़की के साथ हवनो ने दरिंदगी की साड़ी हदें पर कर दी थी हम निर्भय कैस की बात कर रहे हैं संभव है की आपने भी अब तक निर्भय कैसे के बड़े में बहुत कुछ पढ़ा और सुना होगा निर्भय का जन्म 10 may 1990 को दिल्ली में हुआ था वो अपने तीन भाई बहनों में सबसे बड़ी थी और परिवार की इकलौती बेटी भी थी निर्भय के माता पिता ने बेटे बेटियों में बिना कोई भेदभाव किया निर्भय को भी अच्छी शिक्षा दी थी और निर्भय को भी बराबरी का मौका दिया था निर्भय बचपन से ही पढ़ाई में काफी तेज थी और वो हमेशा अपने परिवार वालों की उम्मीद पर खड़ी उतर रही थी आगे की पढ़ाई करते हुए वह मेडिकल फील्ड में आने का फैसला करती है और फिजियोथैरेपी कोर्स में एडमिशन लेते हुए काफी अच्छे मार्क्स के साथ फिजियोथैरेपी की डिग्री भी हासिल कर लेती है जब यह घटना घाटी थी तब निर्भय फिजियोथैरेपी की ही इंटर्नशिप कर रही थी 

बात 16 दिसंबर 2012 की है छुट्टी का दिन होने की वजह से निर्भय अपने एक दोस्त अवनींद्र प्रताप पांडे के साथ फिल्म देखने का प्लेन बनती हैं अवनेंद्र प्रताप पांडे सॉफ्टवेयर इंजीनियर है और वो उत्तर प्रदेश के गोरखपुर के रहने वाले हैं  उन दिनों सिनेमा घरों में आमिर खान की फिल्म तलाश लगी थी फिल्म की काफी चर्चा थी इसलिए निर्भय अपने दोस्त के साथ तलाश फिल्म देखने का प्लेन बनाते हैं ये दोनों पब्लिक ट्रांसपोर्ट से फिल्म देखने के लिए पीवीआर सिलेक्ट सिटी साकेत चले जाते हैं जब यह लोग सिनेमा हाल तक आते हैं तो वहां काफी भीड़ होती है और इन्हें फिल्म का टिकट नहीं मिल पता है इसलिए दोनों तलाश फिल्म देखने की बजाएं लाइफ ऑफ पाई नाम की फिल्म देखने का फैसला करते हैं इवनिंग शो में लाइफ ऑफ पाई देखने के बाद निर्भय और पांडे अपने-अपने घर जान के लिए ऑटो का इंतजार करने लगता हैं

इसके बाद जो भी कुछ हुआ वह हम दिल्ली क्राइम सीरीज के द्वारा  कहानी को सुनते हैं जिससे कि आप भी सतर्क होने की कोशिश करेंगे 

1rd part

एक रात 10:30 पर रात को पेट्रोलिंग गश्त पर निकली हुई एनएचएआई टीम यानी नेशनल हाईवे अथॉरिटी ऑफ इंडिया की टीम को सड़क के किनारे दो लोग दिखते हैं फिर वह लोग कार से उतर कर वहां पर देखने जाते हैं वहां एक गड्ढे में बिना कपड़ों के एक लड़का और एक लड़की पड़े हुए थे फिर वे पुलिस कंट्रोल रूम में फोन करके वहां सहायता बुलाते हैं फिर वहां पुलिस की कार आती है पुलिस वाले पास के ही एक होटल से चादर मंगवा कर उन दोनों को चादर से ढककर अपनी कार में बिठाते हैं लड़का ठीक था लेकिन लड़की की हालत ज्यादा खराब थी फिर पूछने पर लड़का बताता है कि एक बस में छह लोग थे उन्होंने हमारा सामान और कपड़े छीन लिए हमें बहुत मारा और चलती गाड़ी से नीचे फेंक दिया फिर उन दोनों को दिल्ली के सफदरगंज हॉस्पिटल में लाया जाता है लड़की दर्द से कराह रही थी डॉक्टर पूछती है क्या हुआ तुम्हें वो दर्द भरी आवाज में बताती है कि मुझे लोहे की राड से मारा गया है उन्होंने लोहे की रोड को मेरे वैजाइना में डाल दिया और उससे भी नहीं हुआ तो उसने हाथ डालकर मेरे अंदर के मांस को निकाल लिया तभी वहां उस लड़की के मां-बाप भी आ जाते हैं उस लड़की का नाम दीपिका और लड़के का नाम आकाश था दीपिका अपने पापा को देखकर कहती है पापा बहुत दर्द हो रहा है फिर हवालदार दीपिका के पापा को वहां से बाहर ले जाता है फिर वो उनको बिठा कर वापस कंट्रोल रूम में रिपोर्ट करने जाता है वह बताता है कि मैंने पीड़ित व्यक्तियों को हॉस्पिटल पहुंचा दिया है दोनों ही नग्न अवस्था में पाए गए थे लड़की की हालत ज्यादा खराब है अब उनकी बाग डोर डॉक्टर के हाथ में है फिर कंट्रोल रूम वाले उस इलाके के थाने में

फोन करते हैं और नाइट ड्यूटी कर रहा हवलदार नारायण मैडम डीसीपी वर्तिका चतुर्वेदी के पास फोन करता है वो मैडम को सारी बात बताता है मैडम पूछती है क्या दुर्व्यवहार भी हुआ है नारायण कहता है पता नहीं 

मैडम कहती है जैसे ही पता लगे मुझे कॉल करो फिर पता करने के बाद नारायण दोबारा मैडम को कॉल करता है और डीसीपी मैम उसी वक्त  रेडी होकर वह अपने घर से निकलती है और अपनी कार में बैठकर सीधा हॉस्पिटल जाती है हवलदार बताता है कि लड़की को सर्जरी के लिए भेज रहे हैं लड़का अंदर ही है फिर डीसीपी मैम डॉक्टर से बात करती है डॉक्टर बताती है कि लड़की की हालत गंभीर है ऐसा लगता है कि नीचे सरिया घुसा कर उसकी आंतों को बाहर निकाल दिया है आप यहां वेट कीजिए मैं उसकी जान बचाने की पूरी कोशिश करूंगी फिर डीसीपी मैम दीपिका के माता-पिता को हौसला देती है मैडम की खुद की भी एक बेटी थी इसलिए वो केस को सीरियस लेती है वो आधी रात को ही इंस्पेक्टर भूपेंद्र सिंह के पास फोन करती है और उससे कहती है कि अर्जेंट है अभी के अभी हॉस्पिटल आओ फिर DCP मैडम नारायण सिंह को फोन करके कहती है वसंत विहार में एक नई आईपीएस ट्रेनिंग ऑफिसर आई है नीति सिंह मुझे उसका नंबर चाहिए फिर मैडम उसके पास भी फोन करके उसे अपने पास बुला लेती है इंस्पेक्टर भूपेंद्र सिंह अपने साथ एसएचओ सुभाष गुप्ता और एसएचओ राकेश वर्मा को भी लेकर आया था मैडम पूछती है एसएचओ विनोद कहां है भूपेंद्र सिंह कहता है है उसको फोन किया था लेकिन वह जवाब नहीं दे रहा फिर मैडम उन सबको साथ लेकर आकाश के पास जाती है ताकि उसका बयान ले सके आकाश बताता है कि मैं और दीपिका मूवी देखने के लिए गए थे वहां से वापस आते समय हमें द्वारका के लिए कोई ऑटो नहीं मिल रहा था फिर फिर हमें एक ऑटो वाले ने यह कहा कि मुनीर बस स्टैंड से आपको छोड़ दूंगा वहां से आपको द्वारका के लिए बस मिल जाएगा फिर वहां से हमें द्वारका के लिए एक बस मिल गई उस बस में ही हम पर हमला हुआ था

 

बस में छह लोगों ने हम पर हमला किया मैडम पूछती है तुम्हें किसी का नाम पता है वो बताता है कि एक का नाम ब्रजेश और एक का नाम  छोटू था वे लोगराड से मुझे मार रहे थे फिर दीपिका ने ड्राइवर से हेल्प मांगी फिर ड्राइवर आया और दीपिका को घसीट कर पीछे ले गया वे लोग मुझे पीछे नहीं जाने दे रहे थे तभी पीछे से आवाज आती है कि लड़की मर गई फिर उन्होंने हमारा सब कुछ छीन लिया और हमारे कपड़े उतार कर हमें चलती बस से बाहर फेंक दिया वे एयरपोर्ट फ्लाई ओवर से बस घुमाकर फिर से आए और हमें बस से कुचलने की कोशिश की मैंने हौसला करके दीपिका को सड़क हेलो के किनारे घसीट लिया और फिर वे लोग चले गए फिर थोड़ी देर बाद वहां पुलिस आ गई लेकिन वह काफी देर तक रुकी रही हमें तुरंत हॉस्पिटल नहीं लेकर गई मैडम कहती है कि व हाईवे पेट्रोल कार होगी पीसीआर की तरह ही दिखती है लेकिन उसमें कोई सुविधा नहीं होती इतने में वहां नीधी सिंह भी आ जाती है और एसएचओ विनोद भी फिर मैडम उन्हें साइड में ले जाकर कहती है लड़की के पास ज्यादा समय नहीं है विनोद एक नंबर का निकम्मा था वह अपनी मुसीबत दूसरे के गले डालना चाहता था फिर मैडम उसे कहती है कि वे तुम्हारे इलाके से बस में चढ़े थे इसलिए यह केस तुम्हारे ही स्टेशन में रजिस्टर्ड होगा फिर विनोद महिला अधिकारी विमला भारद्वाज की इंट्रोडक्शन करवाता है मैडम उसे दीपिका का ध्यान रखने के लिए कहती है फिर मैडम इन सभी को कहती है कि आज से इस केस पर हम सभी काम करेंगे फिर मैडम उन सबको इस केस के बारे में बताती है और  कहती है कि दीपिका और आकाश के साथ क्या-क्या हुआ हमारे पास दो नाम है और सिर्फ इतना ही पता है कि वे एक सफेद बस में थे इसके अलावा हमारे पास कुछ नहीं है दिल्ली में जितनी भी सफेद बसें हैं सबका पता लगाओ जहां-जहां भी ये बस गई है वहां के सभी सीसीटीवी कैमरा चेक करो 

उस वक्त उस रूट पर जितने भी कॉल किए गए मुझे सब की लिस्ट चाहिए अगर हमने पहले सात या 10 घंटों में मुजरिमों को नहीं पकड़ा तो वे हाथ से निकल जाएंगे मैं यह केस बर्बाद नहीं करना चाहती क्योंकि उस लड़की के साथ जो भी हुआ है ऐसा मैंने आज से पहले कभी नहीं सुना और ना ही देखा किसी को कुछ भी पता चले तो वह मुझे या भूपेंद्र को रिपोर्ट करेगा मुझे गलती की कोई गुंजाइश नहीं चाहिए और विनोद तुम इस केस से दूर रहोगे फिर मैडम निधि सिंह को कहती है कि दीपिका आकाश और उसके माता-पिता इन सब का ख्याल तुम रखोगी अगर उन्हें कोई भी चीज चाहिए खाना पीना या कपड़े उसका बंदोबस्त तुम करोगी 

अगले दिन सुबह डीसीपी मैम अपने हस्बैंड को फोन करती है और बताती है कि शायद मैं आज भी घर नहीं लौटेगी और अपनी बेटी का ख्याल रखने और और खुद के यूनिफॉर्म भेजने के लिए कहती है मैडम भूपेंद्र को कहती है कि जब तक यह केस सॉल्व नहीं हो जाता मैं तुम्हारे ऑफिस में ही बैठूंगी भूपिंदर पूछता है मैम हमने आज से पहले बहुत से ऐसे केस हैंडल किए हैं इस केस में ऐसा क्या है मैडम कहती है तुमने लड़की की हालत नहीं देखी अगर यह हमारी बेटियों के साथ हुआ होता तो तुम पता नहीं क्या करते 

फिर सब इंस्पेक्टर जयराज सिंह एक होटल में सीसीटीवी कैमरा चेक करने जाते हैं उस होटल का कोई भी कैमरा रोड की तरफ नहीं लगा हुआ था फिर एसएचओ राकेश अपने एक खबरी के पास फोन करता है और उसे पालम के सारे ट्रांसपोर्टरों की लिस्ट इकट्ठा करने के लिए कहता है जिसमें उनके मालिकों का नंबर भी होना चाहिए हॉस्पिटल में डॉक्टर आकर दीपिका के घर वालों से मिलती है और कहती है कि हमने ट्रीटमेंट शुरू कर दिया है उसकी हालत अभी भी क्रिटिकल है अभी कुछ कहा नहीं जा सकता लेकिन हम अपनी पूरी कोशिश कर रहे हैं 

विमला भारद्वाज दीपिका से मिले डीएनए कल्चर ब्लड रिपोर्ट और यूरेन सैंपल इकट्ठा कर लेती है पिछली रात दिल्ली में इतनी बड़ी घटना हो गई थी लेकिन दिल्ली वालों को शायद इससे कोई फर्क नहीं पड़ रहा था दिल्ली की सड़कों पर नाके लगा दिए जाते हैं खबरी राकेश के पास फोन करके कहता है मैंने तुम्हें 20 नामों की लिस्ट भेजी है चेक कर लेना सड़कों पर सफेद बसों को रोक रोककर पूछताछ की जा रही थी विमला आकाश को लेकर डीसीपी मैम के पास जाती है मैडम उससे पूछती है अगर तुम्हें कुछ और भी याद आया हो तो तुम मुझे बता सकते हो आकाश बताता है कि बस के डैशबोर्ड पर शिवजी की मूर्ति लगी थी उधर जयराज सिंह किसी और होटल में जाकर सीसीटीवी कैमरा चेक करता है 

फिर मैडम एसएचओ सुभाष गुप्ता को फोन करती है और उससे पूछती है कि तुम्हारा एक दोस्त था सेंट्रल फॉरेंसिक लैब में क्या वह अभी भी है अगर है तो मुझे क्राइम सीन पर उसकी टीम की जरूरत है वो भी बिना प्रोटोकॉल फॉलो किए फिर एसएचओ सुभाष अपने फॉरेंसिक वाले दोस्त के पास कॉल करता है और उससे उसकी टीम मांगता है एसएचओ का दोस्त कहता है कि मेरी टीम का खाना पीना और आना जाना सब तुम्हारी जिम्मेदारी रहेगी एसएचओ राकेश मैडम को जाकर बताता है कि हमारे आदमी सड़कों पर हर सफेद बस को रोक कर चेक कर रहे हैं और उनके मालिकों का नंबर नोट कर रहे हैं मैडम कहती है कि जितनी भी वाइट बस के ओनर्स हैं सबको यहां लेकर आओ 

सब लोग अपना काम जिम्मेदारी से कर रहे थे लेकिन कांस्टेबल सिर्फ खाना पूर्ती ही कर रहे थे जिस बस के अंदर कांड हुआ था वह बस उनके हाथ भी लग जाती है लेकिन वे बस की पहचान नहीं कर पाते इसलिए वे उस बस को जाने देते हैं 

2nd part

संजीव गोस्वामी चीफ मिनिस्टर  को अब कल रात वाली घटना इन तक भी पहुंच जाती है दूसरी तरफ डीसीपी मैडम ने कुछ बस ओनर्स को बुला लिया था उनमें से एक बस ओनर कहता है कि आप ओनर्स की जगह पर ड्राइवर पर ध्यान दो जो यहीं आसपास की बस्तियों में बसे हुए हैं फिर उनमें से एक कहता है कि श्री साहब को भी पूछ लीजिए उनकी ज्यादातर बसें वाइट है फिर वो एसएचओ को उसका नंबर देता है लेकिन फोन स्विच ऑफ था दूसरी तरफ संजीव गोस्वामी दीपिका का पता लेने के लिए एक डिस्ट्रिक्ट काउंसलर को हॉस्पिटल भेजता है फिर वो सारा माजरा संजीव गोस्वामी को बताती है फिर संजीव गोस्वामी उसे प्रेस कॉन्फ्रेंस करने के लिए कहता है ताकि जनता को इस बात का पता चल सके फिर वह प्रेस कॉन्फ्रेंस करके सारी बात उन्हें बता देती है और इस बात की खबर डीसीपी मैम तक भी पहुंच जाती है कि एक जिला काउंसलर ने प्रेस कॉन्फ्रेंस करके सब कुछ मीडिया कोbबता दिया फिर मैडम वहां टीवी  मंगवाती है ताकि न्यूज़ सुन सके यह बात जैसे ही आम लोगों तक पहुंचती है दिल्ली की जनता प्रोटेस्ट पर उतर आती है 

डीसीपी मैम की बेटी भी उनके पास फोन करके पूछती है मोम क्या यह केस आप संभाल रही हो डीसीपी मैम कहती है हां लेकिन तुम खबरों पर ध्यान मत दो खबरों में आधा झूठ दिखाया जाता है तभी हरीश का खबरी एसएचओ राकेश के पास फोन करता है और बताता है कि श्रीश की एक बस गायब है उस बस को जयसिंह नाम का ड्राइवर चलाता है यह एक स्कूल बस है जो सुबह बच्चों को लेकर जाती है और दोपहर को वापस लेकर आती है फिर शाम को वह न्यू इंडेक्स कंसल्टेंसी यानी एनआईसी नाम की कंपनी के स्टाफ को घर छोड़ती है उसके बाद वो फ्री हो जाती है एसएचओ पूछता है कि रात को वो कहां खड़ी होती है हरीश बताता है कि रविदास कैंप पार्क में फिर राकेश यह बात मैडम को बताता है हरीश बताता है कि वो बस कल रात से गायब है राकेश कहता है पता तो हम खुद लगा लेंगे कि वो बस है कहां अब पुलिस वालों के पास तीन नाम थे ब्रिजेश विकास और जयसिंह तभी पास में बैठा एक बस ओनर कहता है मेरा भी बस क्लीनर सुबह से गायब है उसका नाम अलोक कुमार है उसका फोन स्विच ऑफ आ रहा है फिर मैडम ऑर्डर देती है कि इस केस में कोई भी जूनियर कांस्टेबल मत लगाओ सभी इंस्पेक्टर या सब इंस्पेक्टर होने चाहिए 

संजीव गोस्वामी कल रात वाली बात गुरुराज दीक्षित मिनिस्टर ऑफ होम अफेयर्स  को बताता है और और कहता है कि कहीं ना कहीं पुलिस से चूक हुई है गुरुराज दीक्षित कहते हैं कि पुलिस जितना अच्छा काम कर सकती है उतना अच्छा कर रही है अब एसएचओ सुभाष गुप्ता अपनी फॉरेंसिक टीम को लेकर वारदात वाली जगह पर पहुंच जाता है दूसरी तरफ सब इंस्पेक्टर प्रकाश शुक्ला और अशोक शर्मा दोनों जयसिंह का पता लगाने के लिए उसकी बस्ती में जाते हैं उन्हें पता चलता है कि वह अपने भाई के पास गया है महरोली में पुलिस स्टेशन में भूपिंद्र सिंह अपने एक सरताज नाम के दोस्त को बुलाता है उसकी भी दिल्ली में बहुत सी बसें चलती हैं ये इन सबकी इस केस में हेल्प कर ने के लिए आया था फिर वे आकाश से इस बस के रूट के बारे में पूछते हैं वह बताता है कि पिकअप पॉइंट से ड्रॉ पॉइंट के बीच तीन-चार बार बस ने मोड़ लिए थे और रास्ते में मलाई मंदिर दो बार आया था ये लोग करीब 40 से 45 मिनट तक बस में थे फिर भूपेंद्र सिंह बताता है कि पिकअप पॉइंट से ड्रॉप पॉइंट के बीच का रास्ता 20 मिनट का है इसका मतलब उन्होंने बस को दो बार इस रोड पर घुमाया है अब हमें वहां के  होटल्स  और सीसीटीवी कैमरा से ही कुछ मिल सकता है 

आकाश बताता है कि उस बस के पीछे का दरवाजा खोलने पर भी नहीं खुल रहा था फिर पास बैठा बस ओनर बताता है कि वह सीएनजी स्कूल बस होगी उनके पीछे के दरवाजे फिक्स कर दिए गए हैं ताकि बच्चे वहां से बाहर ना कूद सके कुमार विजय कमिश्नर ऑफ पुलिस उनके पास एक प्रेस रिपोर्टर पूनम का फोन आता है फिर वो इनको कल रात हुई घटना के लिए टीवी चैनल पर इनवाइट करती है लेकिन कमिश्नर मना कर देते हैं फिर वो डीसीपी मैम के पास फोन करते हैं और कहते हैं कि जो टीवी पर काउंसलर आ रही है वो चीफ मिनिस्टर के लिए काम करती है डीसीपी कहती है कि मुझे नहीं पता सर इसे कैसे पता चला फिर डीसीपी मैम कमिश्नर से होने वाले खर्चे पर बात करती है कमिश्नर कहते हैं पैसे संभाल कर खर्च करना और हो सके तो इन सब को जल्दी पकड़ लो अब प्रोटेस्ट में कॉलेज के लड़के लड़कियां भी शामिल हो गए थे और यह लोग पुलिस के काम को और भी मुश्किल बना रहे थे दूसरी तरफ जयराज सिंह को एक सीसीटीवी कैमरा में उस बस की फुटेज मिल जाती है फिर वह भूपेंद्र को बताता है कि एक बस उस रूट से 20 मिनट में दो बार गुजरी है फिर भूपेंद्र कहता है कि उस बस की वीडियो बना और मेरे पास भेज दो आकाश कंफर्म कर देता है कि यह वही बस है फिर आकाश कहता है कि जो कंडक्टर सवारियां बुला रहा था उसका सवारियों को बुलाने का ढंग बड़ा ही अजीब था गुड़गांव गुड़गांव 

तभी एसएचओ विनोद के पास उसके किसी साथी का फोन आता है वह कहता है कि तुम भी कुछ कर लो भाई वरना इस केस के बाद मैं शोर हूं तीन-चार लोगों को तो सस्पेंड किया ही जाएगा कहीं उसमें तुम्हारा नाम ना हो दूसरी तरफ फॉरेंसिक टीम बड़ी ही बारीकी से छानबीन कर रही थी तभी वहां पर विमला भारद्वाज आती है वो यहां से यह सैंपल लेने आई थी ताकि उनको सीएफएसएल पहुंचा सके विमला कहती है कि 15 साल के करियर में मैं आज पहली बार किसी फॉरेंसिक टीम को इस तरह सड़क पर ड्यूटी करते देख रही हूं अब उस बस की फोटो दिल्ली के सभी पुलिस वालों को भेज दी जाती है मैडम ऑर्डर देती है कि पुलिस वालों को बिना वर्दी रविदास कैंप भेजो हमें जयसिंह को पकड़ना है तभी सरदार जी सबको बुलाते हैं और बताते हैं कि उस बस का फ्रंट लेफ्ट साइड का व्हील कैप भी मिसिंग है फिर डीसीपी मैम भूपेंद्र को कहती है तुम लोगों की जितनी भी टीम्स रविदास कैंप में है उन सबको बताओ कि उस बस के पीछे का दरवाजा फिक्स है उसके अंदर डैशबोर्ड पर शिवजी की मूर्ति लगी है बस के बाहर श्रीश ट्रेवल लिखा हुआ है और फ्रंट लेफ्ट साइड का व्हील कैप भी मिसिंग है अब दिल्ली के न्यूज़ रिपोर्टर अपनी ही तरफ से झूठ परोस रहे थे कि दो घंटे तक लड़का-लड़की ठंड में सड़क के किनारे पड़े रहे लेकिन दिल्ली पुलिस वहां पर खड़ी-खड़ी तमाशा देख रही थी कमिश्नर भी इस तरह की फेक न्यूज़ से परेशान हो चुके थे फिर वह मंत्री जी से बात करते हैं मंत्री जी उन्हें कहते हैं कि तुम प्रेस कॉन्फ्रेंस बुलाओ और उन्हें सब कुछ सच-सच बताओ फिर कमिश्नर साहब डीसीपी मैम के पास फोन करते हैं और कहते हैं कि यह गैर जिम्मेदार न्यूज़ चैनल कुछ भी अनाप शनाप दिखा रहे हैं यह लोगों को गुमराह कर रहे हैं हैं तुम प्रेस कॉन्फ्रेंस बुलाओ और उन्हें इस केस की सही सही जानकारी दो और हो सके तो बस की फोटो भी वायरल कर दो डीसीपी मैम  कहती हैं कि सर लोग गुस्से में आकर उस बस को जला देंगे इससे हमारी मुश्किलें और बढ़ जाएगी आप मुझे कल दोपहर तक का समय दो बस और ड्राइवर दोनों हमारे कब्जे में होंगे 

अब बस का मालिक शिरीश ने भी कंफर्म कर दिया था कि उनकी एक बस जिसका नंबर 9094 लापता है और उसका ड्राइवर जय  सिंह भी गायब है अब सभी पुलिस वाले रविदास कैंप के पास बस का वेट करते हैं और जब वो बस आ जाती है तो वे उसे रोक लेते हैं वे ड्राइवर को भी पकड़ लेते हैं और उसे कार में बिठा लेते हैं वे उसकी आईडी चेक करते हैं उसका नाम जयसिंह था फिर मैडम राकेश को कहती है कि बस को किसी सेफ जगह पर पहुंचा दो जहां इस पर किसी की नजर ना पड़े फिर मैडम एसएचओ सुभाष गुप्ता के पास फोन करती है और कहती है कि मैं बस को नेहरू स्टेडियम भेज रही हूं वहां से काम खत्म होते ही अपनी टीम को ले जाकर बस के भी सैंपल लो फिर मैडम बस को ले जाने की जिम्मेदारी विमला और इंस्पेक्टर अशोक शर्मा को सौंप देती है पुलिस स्टेशन के सामने वाले गेट पर प्रोटेस्ट चल रहा था इसलिए मैडम उसे पीछे के रास्ते से पुलिस स्टेशन लेकर जाती है जयसिंह को अंदर छोड़ने के बाद मैडम बाहर आकर प्रेस कॉन्फ्रेंस करती है मैडम उन सबको इस केस के बारे में सही सही जानकारी देती है और कहती है कि प्लीज आप लोग हमें अपना काम करने दें जैसे ही हमें कोई और जानकारी मिलती है हम आप लोगों को जरूर बताएंगे

 फिर वह जयसिंह के फोन की कॉल डिटेल्स निकलवाने के लिए कहती है फिर मैडम भूपिंदर सिंह को सही तरीके से पूछताछ करने के लिए कहती है बिना मारपीट के फिर अंदर जाकर मैडम जयसिंह को कहती है कि हम विक्टिम से तुम्हारी आइडेंटिफिकेशन करवाना चाहते हैं पहले तो जयसिंह मना कर देता है लेकिन समझाने पर वह हां कर देता है दूसरी तरफ सुभाष गुप्ता फॉरेंसिक टीम को लेकर बस के पास जाता है ताकि उसमें से सैंपल इकट्ठा कर सके पुलिस स्टेशन में जयसिंह बताता है कि मैं कल अपने भाई के पास गया था एक पार्टी में एड्रेस पूछने पर वह बताता है कि मुझे घर का एड्रेस नहीं पता हमने घर के बाहर पार्टी की थी मेरे साथ मेरा एक और भाई था अमर भूपिंदर पूछता है कि तुम्हारे बस का क्लीनर कहां है जयसिंह कहता है सर वो तो गया जयसिंह का भाई अमर वो इस बस का कंडक्टर था जयसिंह को उसका भी नहीं पता था कि वह कहां गया फिर जयसिंह कहता है कि मेरा तो एक हाथ खराब है मैं किसी के साथ बुरा कैसे कर सकता हूं मुझे जाने दो फिर मैडम सबको बाहर लेकर जाती है मैडम कहती है कि यह प्यार से नहीं मानेगा लेकिन यह विकलांग है हम जबरदस्ती भी नहीं कर सकते आकाश ने भी आइडेंटिफिकेशन के लिए मना कर दिया है क्योंकि वह सामने नहीं आना चाहता फिर मैडम के पास सुभाष गुप्ता का फोन आता है वह कहता है कि बस में से कुछ भी नहीं मिला फिर मैडम उन्हें डांट लगाती है 

क्योंकि वे अपना काम सही ढंग से नहीं कर रहे थे दरअसल इन लोगों ने बस की छानबीन की ही नहीं थी बस ऐसे ही कुछ देर बैठकर फोन कर दिया था कि बस में कुछ नहीं मिला फिर सुभाष की नजर नीचे वाले फर्श पर जाती है और वह उसे खोलने को कहता है फॉरेंसिक टीम वाले कहते हैं कि खुद ही खोल लो हमारे पास औजार नहीं है फिर एसएचओ सुभाष खुद जाकर अपनी कार में से टूल बॉक्स निकाल कर लाता है और खुद ही आकर बस का फ्लोर खोलने लगता है फर्श खोलने पर उन्हें वहां सबूत मिल जाता है क्योंकि क्लीनिंग के समय वह हिस्सा अच्छे से साफ नहीं हुआ था फिर वह मैडम को फोन करके बताता है कि मैडम यहां तो खून ही खून है इतने में कॉलिंग की भी रिपोर्ट आ जाती है फिर भूपिंदर वह रिपोर्ट पढ़कर सुनाता है कि जब तुझे यह कॉल आए तो तू उसी रोड पर घूम रहा था  इसका मतलब यह कोई पार्टी  में नहीं था बल्कि इसी रूट पर बस में था फिर मैडम उसे एक थप्पड़ देती है 

अब जयसिंह को भी लगने लगा था कि अगर वह सच नहीं बताएगा तो वह अकेला ही फंस जाएगा अब डीसीपी मैडम जयसिंह से अपने तरीके से पूछती है भूपेंद्र कहता है देख प्यार से बता दे वरना सच तो हम निकलवा ही लेंगे जयसिंह सच बताने के लिए मान जाता है 

3rd 

जयसिंह बताता है कि जब  वह लोग बस में चढ़े तो हम छह लोग थे और बस पूरी तरह से खाली थी हमारी लड़के से बहस हो गई थी और वो लौंडिया बीच में फुदक रही थी फिर हमने उसके साथ  रेप कर दिया आगे से भी पीछे से भी फिर उसने हम में से किसी को बहुत जोर से काट लिया फिर मेरा गुस्सा और बढ़ गया और मैंने उसके अंदर रोड घुसे दी आगे भी और पीछे भी फिर मैंने अपना हाथ उसके अंदर डाला और उसकी आत हों को खींचकर बाहर निकाल दिया मैं अंदर से उस लौंडिया को उखाड़ देना चाहता था  फिर हमने उसको बस से बाहर फेंक दिया और कुचलने की कोशिश की लेकिन बच गए साले यह सुनकर मैडम को गुस्सा आ जाता है इसलिए वह उस पर जूता फेंक कर मारती है फिर जयसिंह बताता है कि हम तो सिर्फ माल लूटना चाहते थे लेकिन वो लौंडा उसके साथ खूब मजे ले रहा था हमने सोचा हम भी कुछ कर लेते हैं इन जैसे लोगों के कारण ही तो हमारी संस्कृति नर्क में जा रही है जो काम घर पे करना चाहिए

 कोई करता है क्या पब्लिक में फिर भूपेंद्र उसको जूते से मारता है और कहता है कि उसको मार ही देता साले लेकिन ऐसा क्यों किया फिर जयसिंह कहता है कि मैंने जो उसके साथ किया मुझे कोई पछतावा नहीं है फिर एसएचओ राकेश वर्मा अपने साथियों के साथ जयसिंह के पड़ोसी के पास जाता है उसकी जयसिंह के साथ बनती नहीं थी इसीलिए कहते हैं भैया पड़ोसियों के साथ हमेशा बना के रखो दूसरी तरफ जयसिंह अपने सभी साथियों का नाम बता देता है उसके साथियों का नाम बृजेश कुमार विकास गोस्वामी आलोक कुमार सोनू और अमर था अमर जयसिंह का भाई था जो उस समय बस चला रहा था अलोक कुमार बस क्लीनर था विकास जिम असिस्टेंट था ब्रिजेश फल फ्रूट का ठेला लगाता है लेकिन जो यह आखिरी बंदा था सोनू

इसके बारे में इसे कुछ नहीं पता था उसका असली नाम कुछ और था और यह लोग उसे सोनू कहकर बुलाते थे वह बताता है कि सोनू पहले मेरे साथ कंडक्टर का काम करता था वह अजीब अजीब आवाजें निकालकर ग्राहकों को बुला लेता है इसीलिए उसे जल्दी से जॉब मिल जाती है फिर मैडम जयसिंह के फोन की तीन-चार महीने पहले की डिटेल निकलवाने के लिए कहती है दूसरी तरफ जयसिंह का पड़ोसी बताता है कि मेरे पास विकास का फोन आया था वो कल उन लोगों के साथ ही था पूछ रहा था कि पुलिस तो नहीं आई मैंने मना कर दिया फिर सुधीर के पास भूपेंद्र का फोन आता है वह सुधीर को बताता है कि जयसिंह का एक भाई महरोली में रहता है शायद अमर वहीं गया होगा 

तुम अभी वहां के लिए निकलो अब जयसिंह को लोकप में बंद कर दिया जाता है फिर मैडम के पास उसके हस्बैंड का और भूपेंद्र के पास उसकी वाइफ का फोन आता है वो पूछती है कि घर कब आओगे भूपेंद्र कहता है कि अभी कुछ दिन और लग सकते हैं दूसरी तरफ सुधीर महरोली में जयसिंह के भाई के पास पहुंच जाता है वो बताता है कि तीन-चार दिन से अपने भाइयों से नहीं मिला है सुधीर को पता चलता है कि वो करोली गांव का रहने वाला है जो कि राजस्थान में है फिर सुधीर उसको धमका कर उसके फोन से उसके गांव में फोन करवाता है गांव में उसकी मां रहती है उसकी मां बताती है कि अमर कल रात को यहां आया था फिर सुधीर उसका फोन ले लेता है और अपने एक आदमी को वहीं छोड़ देता है दूसरी तरफ जयसिंह का पड़ोसी बताता है कि वो रहा विकास पुलिस वाले उसे  पकड़ लेते हैं फिर जब वे उसे कार में बिठाकर धमकाते हैं तो वह बताता है कि बृजेश भी वहां आने वाला है फिर पुलिस वाले बृजेश को भी पकड़ लेते हैं फिर वे मैडम को रिपोर्ट करते हैं कि तीन मिल गए तीन बाकी हैं अब भूपेंद्र सुधीर को करौली गांव में जाने के लिए कहता है सुधीर अपनी गन लेता है और अपने साथियों को अपने साथ चलने के लिए कहता है फिर वो अपनी वाइफ को कहता है कि मैं आने वाला तो घर था लेकिन अभी राजस्थान जा रहा हूं 

दूसरी तरफ ब्रिजेश के घर के बाद एसएचओ राकेश विकास के घर की तलाशी लेने जाता है तभी विमला की नजर फर्श पर पड़ती है जब वे फर्श को खोद कर देखते हैं तो उसमें से उन्हें विक्टिम के पर्स मोबाइल और क्रेडिट कार्ड मिलते हैं रास्ते में सुधीर अपने साथी को बताता है कि वहां जाकर हम हमें पहले थाने में परमिशन लेनी होगी अगर सब कुछ सच बताएंगे तो वे हमें कागजी कारवाही में डाल देंगे और खुद जाकर उसे भगा देंगे यह सब मुझे ही हैंडल करने देना दूसरी तरफ पुलिस स्टेशन में जब सब लोग डिनर कर रहे थे फिर भूपेंदर आकर जयराज सिंह को कहता है कि तुम्हें मानेसर गुड़गांव में जाना होगा वहां अलोक के भाई भास्कर का पता चला है एड्रेस वगैरह कुछ नहीं है बस इतना पता है कि वह कहां काम करता है फिर जयराज सिंह और एसएचओ राकेश कुमार दोनों अभी जाने के लिए खड़े हो जाते हैं लेकिन डीसीपी मैम कहती है पहले खाना पूरा कर लो फिर चले जाना उधर सुधीर करौली के थाना में पहुंच जाता है वहां जाकर वह सो रहे स्टाफ को जगाता है और कहता है कि एक आदमी दिल्ली से क्राइम करके भागा है हम उसे पकड़ने आए हैं वो कहता है तो पकड़ लो भाई मुझे जगाने की क्या जरूरत है दिल्ली में भूपेंद्र विकास से पूछता है कल रात कहां थे वो कहता है कि चर्च में था अपने दोस्तों के साथ फिर वो दूसरे रूम में जाकर ब्रिजेश से पूछता है तू कहां था वो कहता है कि पार्क में था अपने दोस्तों के साथ दोनों के बयान मैच ही नहीं हो रहे थे तभी भूपेंद्र की नजर ब्रजेश के पांव पर पड़ती है वहां काटने का निशान था ब्रिजेश कहता है मैं गिर गया था फिर भूपेंदर गुस्से में आकर उसके कान के नीचे दो देता है और वापिस विकास के पास जाता है वो विकास को कहता है तू भी मार खाकर सच बताएगा क्या इससे अच्छा होगा तू पहले ही बता दे विकास सच कबूल कर लेता है

उधर राजस्थान में सुधीर दो आदमियों से अमर सिंह का पता पूछता है वे बताते हैं कि पास में ही एक नदी है नदी के पास कार खड़ी करके पैदल पार करनी होगी नदी के उस पार एक छोटी सी बस्ती है अगर वहां कार से जाओगे तो 30-40 किमी लंबा रास्ता पड़ेगा पुलिस स्टेशन में विकास और ब्रिजेश उस रात बस में जो कुछ भी हुआ सब कुछ डिटेल से बता रहे थे वे कहते हैं कि विकास उस दिन पागल हो गया था उसी ने लड़की में रोट डाली और उसकी आंतें बाहर निकाल दी वो हम सबसे बड़ा है वही हमें बताता है हमें क्या करना है क्या नहीं अपनी बीवी के मरने के बाद वह पागल सा हो गया है वे बताते हैं कि उस रात उस लड़की के साथ जो लड़का था वो उसे इधर-उधर छू रहा था जब  जय सिंह ने उसे रोका तो वो लड़का सिर पर चढ़ने लगा फिर हम लोगों ने उस लड़के की पिटाई कर दी फिर लड़की बीच में आ गई और जयसिंह का दिमाग घूम गया बस फिर हो गया जो होना था 

दूसरी तरफ सुधीर अपनी टीम के साथ नदी के पास पहुंच जाता है उस नदी पर कोई भी ब्रिज नहीं था और इन सबको तैरना नहीं आता था फिर वे अपनी जैकेट और फोन को गाड़ी में रखकर पैदल ही उस नदी को पार करने की कोशिश करते हैं नदी ज्यादा गहरी नहीं थी इसलिए वे उसे चलकर पार कर लेते हैं फिर वे पूछताछ करके अमर सिंह के घर पहुंच जाते हैं वे अमर को पकड़ लेते हैं अमर की मां पूछती है क्या हुआ अमर कहता है मेरी मां को कुछ मत बताना फिर वे अमर को लेकर वापस नदी क्रॉस करने लग लगते हैं तभी अमर उनको धक्का देकर वहां से तैर कर आगे निकल जाता है 

4rd

और सुधीर उसको आवाजें लगाता रह जाता है सुधीर अमर को आवाज लगाता है या तो तू वापस आ जा या फिर मैं तेरी मां को सब कुछ सच-सच बता दूंगा तेरे पूरे परिवार की इज्जत मिट्टी में मिल जाएगी फिर अमर कहता है सर यह काम बिल्कुल मत करना आप आ जाओ मैं यहीं वेट करता हूं फिर सुधीर मैडम को बताता है कि अमर सिंह मिल गया है मैडम कहती है जल्दी आ जाओ हमें 24 घंटे के अंदर इसे मैजिस्ट्रेट के सामने पेश करना है 

 उसके बाद हम देखते हैं कि जयराज सिंह गुड़गांव के एक इलाके में पहुंच जाता है जहां भास्कर काम किया करता था फिर वह वहां के लोगों से भास्कर के बारे में पूछता है एक आदमी उसे जानता था इसलिए वह जयराज सिंह को वहां पर ले जाने के लिए मान जाता है फिर जयराज सिंह और राकेश कुमार भास्कर को पकड़ लेते हैं जब उसके कान पर दो पड़ती है तो वह तोते की तरह सब कुछ बक देता है व बताता है कि मेरा भाई कल आया था और अपने खून वाले कपड़े चेंज करके यहां से चला गया राकेश पूछता है कहां गया है वो उसका भाई बताता है कि वह बिहार में औरंगाबाद के पास छपरा गांव में गया है फिर मुजरिम की हेल्प करने के जुर्म में पुलिस वाले उसे भी उठा लेते हैं पुलिस स्टेशन में एक बांकेलाल नाम का आदमी मैडम से आकर मिलता है वह कहता है कि 16 दिसंबर की रात मैं भी उस बस में चढ़ा था बस में उस समय मैं अकेला ही था फिर मुझे भी छह आदमियों ने पीटकर मेरा सामान छीनकर मुझे बस से नीचे फेंक दिया किसी ने भी मेरी हेल्प नहीं की फिर मैंने एक ऑटो वाले से फोन लेकर अपने भाई को फोन किया वह आकर मुझे अपने घर ले गया फिर घर जाकर जब मैंने टीवी देखा तो मुझे इस वारदात के बारे में पता चला 

मैडम उसका केस दर्ज कर लेती है फिर बाहर जाकर मैडम भूपिंदर को कहती है अगर यह उस रात कंप्लेंट कर देता तो शायद इतनी बड़ी घटना ना होती इतने में सुधीर अमर को लेकर पुलिस स्टेशन पहुंच जाता है और पीछे के रास्ते वह उसे अंदर ले आता है फिर जब वह मैडम से जाकर मिलता है तो मैडम उसे आराम करने के लिए कहती है फिर मैडम भूपेंद्र को प्रदर्शनकारियों का प्लान जानने के लिए भेजती है फिर भूपेंद्र को पता चलता है कि जैसे ही पुलिस उन आरोपियों को लेकर कोर्ट जाने लगेगी तो ये लोग उन पर हमला करके उन्हें मार डालेंगे अगर आरोपी यहां से बच निकले तो कोर्ट के बाहर भी इनके कुछ लोग खड़े हैं वे वहीं इनका इंसाफ कर देंगे यह बात सुनकर मैडम कहती है कि हमें कुछ भी करके इन आरोपियों को सही सलामत मैजिस्ट्रेट के सामने पहुंचाना है फिर कुमार विजय डीसीपी को मंत्री जी के ऑफिस में आने को कहता है क्योंकि मंत्री जी को इन दोनों के साथ मीटिंग करनी थी मंत्री जी पूछते हैं कि जब पुलिस वारदात पर पहुंची तो वह 2 घंटे तक किसका इंतजार कर रही थी मैडम कहती है कि सबसे पहले वहां एनएचएआई की वैन पहुंची थी और पूरे 7 मिनट बाद वहां पुलिस भी आ गई थी पुलिस वहां पहुंचते ही उन्होंने अपना काम शुरू कर दिया बल्कि वहां और भी लोग थे उनमें से किसी ने भी इनको हॉस्पिटल ले जाने की जहमत नहीं उठाई पुलिस ने अपना काम बिल्कुल सही तरीके से किया है मंत्री जी कहते हैं लोग यह जानना चाहते हैं कि जब यह घटना हो रही थी तब पुलिस उन्हें बचाने क्यों नहीं आई कुमार विजय कहते हैं सर किस जगह क्या घटना हो रही हो इसका तब तक पुलिस को पता नहीं चलता जब तक कोई पुलिस को बताता नहीं 

बस के आगे या पीछे वाली कारों ने भी तो कुछ देखा सुना होगा यह जनता खुद तो जागरूक नहीं है लेकिन पुलिस से उम्मीद करती है कि वह क्राइम होने से पहले ही वहां पहुंच जाए फिर मंत्री जी कहते हैं चार लोग आप पकड़ चुके हैं बाकी के दो लोगों को भी जल्दी पकड़िए वरना यह आपके लिए ठीक नहीं होगा फिर मंत्री जी वापस कमिश्नर को अपने पास बुलाते हैं और कहते हैं कि दिल्ली का सीएम पीएम से मिलने गया था जब वह उनसे नहीं मिल पाया तो वह मेरे पास आया अब वह तुम्हें बली का बकरा बनाना चाहता है फिर कमिश्नर डीसीपी मैम के पास फोन करता है और कहता है कि कुछ कड़े सवालों का जवाब देने के लिए तैयार हो जाओ दूसरी तरफ भूपेंद्र जयसिंह को पीछे के रास्ते से कोर्ट ले जाता है जज साहब उससे सवाल पूछते हैं कि जब से तुम हिरासत में हो क्या किसी ने तुम्हें मारा या डराया धमकाया जयसिंह मना कर देता है फिर अमर को पांच लोगों के साथ खड़ा करके आकाश से पूछा जाता है कि इनमें से कौन है आकाश बता देता है कि वह बीच वाला अब दीपिका को भी होश आ जाता है फिर नीति सिंह मैडम डीसीपी के पास फोन करती है और बताती है कि दीपिका को होश आ गया है यह बात सुनकर मैडम को अच्छा लगता है फिर मैडम उसे इंडिया गेट पहुंचने के लिए कहती है क्योंकि वहां प्रदर्शनकारियों ने हल्ला मचा रखा था

 अगले सीन में हम देखते हैं कि एसएचओ राकेश वर्मा और जयराज सिंह दोनों एक होटल में खाना खाने  बैठथे हैं तभी उनके पास थाने से फोन आता है वह बताता है कि आलोक का फोन ट्रेस हुआ है वह हरियाणा राजस्थान के बॉर्डर पर है फिर वे दोनों अपना खाना छोड़कर उसी वक्त उसे पकड़ने निकल जाते हैं दूसरी तरफ एसएचओ सुभाष गुप्ता एक बस ओनर के पास जाते हैं सोनू इनकी ही बसों में क्लीनर का काम करता था फिर वह एसएचओ को उसके पुराने मालिक का नंबर देता है शायद वह कुछ बता पाए अब डीसीपी मैम इंस्पेक्टर भूपेंद्र को लेकर कोर्ट जाती है क्योंकि इनके खिलाफ एक याचिका लगी है जिसके जवाब अब डीसीपी मैडम को देने थे जज मैडम पुलिस को इस मामले की सारी रिपोर्ट जो अब तक पुलिस ने किया है या दीपिका की डॉक्टर की रिपोर्ट सब कुछ दर्ज करवाने के लिए कहती है मैडम पूछती है कि दीपिका को दिल्ली के सर्वश्रेष्ठ हॉस्पिटल में क्यों नहीं ले जाया गया जब यह घटना हुई उस समय पीसीआर कहां थी और पीसीआर के आने के बाद दीपिका को हॉस्पिटल में जाने में देरी कैसे हुई 

डीसीपी मैम के साथ आया वकील जज से कुछ और समय मांगता है इसलिए जज मैडम उन्हें दो दिन के बाद की तारीख देती है मैजिस्ट्रेट के जाने के बाद डीसीपी मैडम वकील पर गुस्सा करती है कि तुमने और तारीख क्यों मांगी तुम्हें कहना चाहिए था कि साउथ दिल्ली की डीसीपी केवल स्थानीय पुलिस का जवाब दे सकती है पीसीआर या ट्रैफिक पुलिस का नहीं वकील कहता है अगली तारीख में मैं सब कुछ ठीक कर दूंगा अब कमिश्नर कुमार विजय के पास फिर से प्रेस रिपोर्टर पूनम का फोन आता है वो बताती है कि सीएम सर आपका पद से इस्तीफा मांग रहे हैं कमिश्नर कहते हैं मेरा ऐसा कोई इरादा नहीं है पूनम फिर से सर को अपने शो पर इनवाइट करती है लेकिन वो मना कर देते हैं फिर वो सीएम के पास फोन करते हैं और पूछते हैं कि आप मेरे पीछे क्यों पड़े हैं वो कहता है कि अगर तुम इस सारी वारदात का जिम्मा अपने सिर लेने से डरते हो तो यह सब अपने किसी वरिष्ठ अधिकारी के सिर पर डाल दो लेकिन कमिश्नर कहता है कि मेरी टीम अपना बेस्ट दे रही है मैं उनको बलि का बकरा नहीं बना सकता पुलिस स्टेशन में भूपेंद्र सिंह को पता चलता है कि आकाश की सिम किस एरिया में यूज़ हो रही है शायद उन दोनों बचे गुनाहगारों में से कोई एक उसे यूज कर रहा होगा फिर पुलिस उसे धर दबोस्ती है उधर निधि सिंह इंडिया गेट के पास पहुंच जाती है फिर वहां एक फौजी आकर बताता है कि प्रोटेस्ट करना आम जनता का अधिकार है इसलिए ध्यान रहे किसी को भी चोट नहीं लगनी चाहिए वहां दिल्ली पुलिस हाय हाई के नारे लग रहे थे 

दूसरी तरफ राजेश वर्मा और जयराज सिंह आलोक को पकड़ने जाते हैं उसकी भाभी कहती है कि वह यहां आया था लेकिन साथ की साथ चला गया राजेश यह सब बात भूपेंद्र को बताता है भूपेंद्र उस समय उस आदमी से पूछताछ कर रहा था जिसके पास विक्टिम आकाश का सिम कार्ड मिला था वो बताता है कि यह सिम मुझे सड़क पर मिला था मैंने इसे चलाकर देखा तो यह चल रहा था दूसरी तरफ एसएचओ सुभाष गुप्ता सोनू को ढूंढने में लगा था वो हर ठेले वाले से पूछता है कि किसी सोनू को जानते हो जो बस धोने का काम करता है अब ब्रिजेश विकास और अमर को हॉस्पिटल ले जाया जाता है फिर वहां उनके कुछ सैंपल लिए जाते हैं ताकि बस में मिले सबूतों से मैच कर सकें पुलिस स्टेशन में विक्टिम आकाश की सिम की डिटेल्स निकलवाई जाती है उससे यह साबित हो जाता है कि यह लड़का बेगुनाह है इसलिए उसे वहां से जाने दिया जाता है एसएचओ विनोद कुमार आकर बताता है कि विक्टिम आकाश अब पुलिस स्टेशन में नहीं रहना चाहता वो यहां से जाना चाहता है डीसीपी मैम कहती है कि वह कहीं नहीं जा सकता जब तक यह केस सॉल्व नहीं हो जाता तभी वे टीवी में देख देखते हैं कि प्रेस रिपोर्टर पूनम कमिश्नर साहब का इंटरव्यू ले रही थी कमिश्नर साहब कहते हैं कि पिछले साल दिल्ली में जितने भी केस रजिस्टर हुए हमने 87  केस सॉल्व कर दिए हम मुजरिमों को पकड़ते हैं और कोर्ट में पेश करते हैं लेकिन न्यायाधीश उन्हें सजा नहीं दे पाते और यह मुजरिम छूट जाते हैं तभी एक प्रेस रिपोर्टर का फोन डीसीपी मैम के पास आता है इंटरव्यू के लिए मैम इंटरव्यू के लिए मना कर देती है लेकिन उसी से यह पूछती है कि तुम पुलिस के बारे में झूठी खबरें क्यों छापते हो वो रिपोर्टर मैम को अच्छे से जानती थी और उनकी रिस्पेक्ट कर करती थी वह बताती है कि हमारे एडिटर ने हमें कहा है कि पुलिस के बारे में बुरी बुरी खबरें छाप को उनकी धज्जियां उड़ानी है फिर फोन कट करके डीसीपी मैम कहती है कि इन टीवी चैनल वालों का ईमान मर चुका है तभी भूपेंद्र आकर बताता है कि उस रात जब दीपिका और आकाश बस में थे तो आकाश के फोन पर एक कॉल आया था आकाश ने उसका फोन काट दिया था वह लड़की आकाश की गर्लफ्रेंड थी और अब तक मुझे यह लगता था कि दीपिका उसकी गर्लफ्रेंड है जब उस नई लड़की के बारे में डीसीपी मैम को पता चला तो मैडम का दिमाग खराब हो गया 

5rd

भूपेंद्र कहता है और बातें चाहे ना मिलती हो लेकिन सभी सस्पेक्ट की एक बात तो मिलती है कि वह लड़का गलत था बच्चे बच्चे को पता है कि बसों में इस तरह की हरकत नहीं करनी चाहिए बेचारी दीपिका ने गलत लड़के के चक्कर में अपनी जिंदगी खराब कर ली हॉस्पिटल में नीति दीपिका से बातें कर रही थी तभी उन्हें बाहर से शोर सुनाई देता है जब वह बाहर जाकर देखती है तो एक नर्स बताती है कि यह प्रेस रिपोर्टर झूठ बोलकर यहां आ गया है और यह दीपिका की तस्वीरें खींच रहा था फिर निधि उसका कैमरा रख लेती है और हवलदार को उसे बाहर भेजने के लिए कहती है दिल्ली में हर जगह ही दंगे नहीं हो रहे थे कुछ लोग शांति से भी अपना प्रदर्शन कर रहे थे हर जगह कैंडल मार्च निकाला जा रहा था पुलिस स्टेशन में आकाश मैडम से घर जाने की रिक्वेस्ट करता है मैडम कहती है कि जल्दी ही तुम घर जाओगे लेकिन फिलहाल नहीं इन आरोपियों को सजा दिलवाने के लिए तुम्हारी जरूरत पड़ेगी तभी हम देखते हैं कि दो हवालदार जाकर जयसिंह को परेशान करते हैं वे उसे सोने नहीं देते हवालदार कहता है कि मेरे पास भी एक आयरन रोड है घुसाओ तेरे पिछवाड़े में तू एक बार जेल जाकर देख फिर देखना क्या-क्या करते हैं लोग तेरे साथ फिर जब वह आयरन रोड के साथ सलाखों के ग्रिल को बजाने लगता है तो उसकी आवाज डीसीपी मैडम सुन जाती है फिर वो जाकर हवलदार को  धमकाती है एसएचओ विनोद उन्हें वहां से भगा देता है फिर मैडम आकाश और उसके पापा को रूम में जाने के लिए कहती है और विनोद को कहती है कि उस हवलदार को अभी सस्पेंड करो विनोद कहता है मैं उसे  समझाऊंगा लेकिन मैडम उसे अभी की अभी सस्पेंड करने के लिए कहती है फिर मैडम डिनर  करने अपने साथियों के पास जाती है और उन्हें कहती है कि मैं जानती हूं आप सबके मन में इन आरोपियों के प्रति गुस्सा है लेकिन इनको सही सलामत कोर्ट में पेश करना हमारी जिम्मेदारी है यही एक मौका है हमारी बिखरी हुई इज्जत को इकट्ठा करने का तभी भूपेंद्र जयराज सिंह को अपने पास बुलाता है और कहता है कि तुम्हें बिहार जाना होगा हो सकता है अलोक अपने गांव गया हो अपनी एक टीम चुन लो वो नक्सलियों का इलाका है तुम सीधा पुलिस स्टेशन जाना और अंडर कवर रहना अब नक्सलियों का नाम सुनकर जयराज सिंह की भी फट गई थी फिर अगले दिन सुबह जयराज सिंह अपने साथियों के साथ फ्लाइट में बैठ जाता है फ्लाइट में बैठकर वह अपने साथियों को कहता है नक्सली इलाका है जरा ध्यान से रहना हगने मूतने कहीं भी जाओ तो पुलिस को साथ लेकर जाना

 दूसरी तरफ भूपेंद्र सुधीर को बुलाता है और कहता है कि तुम आनंद विहार बस स्टैंड पर जाओ सोनू पहले वहीं काम किया करता था कुछ भी करो यार उसे ढूंढ कर लाओ बिहार पहुंचकर जयराज और उसकी टीम छपरा की तरफ जाने लगते हैं दूसरी तरफ सुधीर आनंद विहार बस स्टैंड पर पहुंच जाता है सोनू का पता लगाने के लिए वहां जाकर वे तीनों अलग-अलग हो जाते हैं अब सोनू नाम इतना कॉमन था कि किसी से भी  पूछने पर हर कोई किसी ना किसी एक सोनू को जानता ही था लेकिन बस साफ करने वाला सोनू तो एक ही था तभी उन्हें बस में एक आदमी मिलता है वह कहता है कि मैंने सोनू को सहारनपुर में देखा है वह यहां से 100 किमी दूर है फिर सुधीर अपने साथियों को वहां छोड़कर खुद उसके साथ सहारनपुर जाता है अब जयराज और उसके साथी पुलिस स्टेशन पहुंच जाते हैं वहां पहले उनकी तलाशी ली जाती है जब वे अंदर जाते हैं तो स्टेशन का एसएचओ उन्हें बताता है कि अगर नक्सलियों को पता चल गया कि तुम सेंट्रल गवर्नमेंट ऑफिसर हो तो तुम लोगों के लिए बड़ी मुसीबत खड़ी हो जाएगी क्योंकि नक्सलियों का सेंट्रल गवर्नमेंट से झगड़ा बहुत पुराना है लेकिन हमारे होते हुए चिंता मत करना फिर एसएचओ अपनी दो गाड़ियां लेकर उनके साथ जाता है ताकि उनको प्रोटेक्शन दे सके 

अगले सीन में हम देखते हैं कमिश्नर कुमार विजय सीएम की बुलाई हुई मीटिंग में जाते हैं वहां कुछ एनजीओ और सोशल एक्टिविस्ट भी आए हुए थे ताकि पुलिस की नाकामी पर कमिश्नर से सवाल पूछ सके फिर सीएम उनसे सवाल पूछता है कि दिल्ली का एक नागरिक होने के नाते और एक बेटी का बाप होने के नाते मैं आपसे यह सवाल पूछता हूं कि दिल्ली पुलिस के होते हुए इतनी बड़ी घटना हो कैसे गई एक सोशल एक्टिविस्ट पूछती है जब भी कोई महिला अपने साथ हुए दुर्व्यवहार की रिपोर्ट लिखवाने पुलिस स्टेशन जाती है तो उसे गंभीरता से क्यों नहीं लिया जाता एक आदमी पूछता है कि दीपिका को हॉस्पिटल ले जाने में इतनी देर कैसे हो गई वे कमिश्नर से और भी बहुत सवाल पूछते हैं फिर सीएम कहते हैं कि अगर आप दिल्ली को नहीं संभाल सकते तो हम चाहेंगे कि आप अपना इस्तीफा दे दें फिर कमिश्नर साहब बड़े ही सहजता से जवाब देते हैं कि न्यूयॉर्क पुलिस डिपार्टमेंट का पिछले साल का बजट ₹26000 करोड़ था जहां केवल 90 लाख लोग रहते हैं दिल्ली पुलिस डिपार्टमेंट का बजट 260 करोड़ है जहां 1 करोड़ 70 लाख लोग रहते हैं हमारे ऑफिसर 24 घंटे ड्यूटी करते हैं बिना ओवर टाइम के पैसे लिए हम जानते हैं कि भयानक अपराध हुआ है हमने केस को लगभग सुलझा ही लिया है और बात रही पुलिस के काम करने ना करने या दुर्व्यवहार की तो आप मुझे फैक्ट्स के साथ बताइए मैं उस पर कड़ी कार्रवाई करूंगा मुझे और कुछ नहीं कहना फिर कमिश्नर साहब वहां से चले जाते हैं सीएम साहब कहते हैं कि जाहिर सी बात है कमिश्नर साहब की डेडिकेशन पर शक नहीं किया जा सकता लेकिन अगर दिल्ली पुलिस मेरे कंट्रोल में होती तो बेहतर काम हो सकते थे मैं यह बात पार्लियामेंट में रखूंगा

 दूसरी तरफ सुधीर को वह आदमी सहारनपुर में एक सोनू के पास ले जाता है वह उसे पकड़कर कार में बिठा लेता है फिर एक दो थप्पड़ मारने के बाद सवाल जवाब करने से पता चलता है कि यह असली सोनू नहीं है दूसरी तरफ वे पुलिस वाले जयराज सिंह को छपरा गांव में ले जाते हैं फिर वहां जाकर वे एक बूढ़े से मिलते हैं वो बूढ़ा उनसे पूछताछ करने के बाद इन सबको अलोक का घर बता देता है फिर एसएचओ उसे ₹1000 देकर वहां से निकल लेता है फिर वे उसके बताए हुए एड्रेस पर जाते हैं वहां एक औरत और एक आदमी बैठा था जयराज सिंह पूछता है क्या अलोक कुमार यहीं रहता है वो औरत मना कर देती है फिर उसकी बीवी पल्लवी बताती है कि कई महीनों से वह यहां नहीं आया फिर वे अंकल जी को ही अपने साथ ले लेते हैं पुलिस स्टेशन ले जाकर जयराज सिंह अंकल से पूछता है तुम्हारा बेटा कहां है अंकल कहता है कि तूने मेरे ही घर में आकर मेरी बहू के सामने मुझे शर्मिंदा किया है मैं तुझे कुछ नहीं बताऊंगा फिर जब जयराज सिंह गुस्सा करता है तो एसएचओ उन्हें बाहर भेज देता है फिर वह खुद अंदर जाकर दरवाजा बंद करता है वो अंकल को बताता है कि तुम्हारे बेटे ने एक लड़की के साथ गलत काम किया है अगर पुलिस से पहले व लोगों के हाथ लग गया तो वे उसके टुकड़े कर देंगे यह समझ लो पुलिस तो उसे बचाने आई है फिर अंकल उन सबको बताता है कि कल रात उसका फोन आया था फिर जयराज सिंह उस नंबर पर कॉल करके देखता है वो एक पीसीओ का नंबर था जो कि गुड़गांव के पास नाहरपुर से था नाहरपुर में उस अंकल की बहन रहा करती थी फिर वे अंकल से उसका एड्रेस लिखवा लेते हैं तभी मैडम के पास भूपेंद्र का मैसेज आता है जिसमें लिखा था कि जयसिंह को तिहाड़ में शिफ्ट कर दिया गया है 

6th

 एपिसोड में हम देखते हैं कि एसएचओ उसके साथियों की खातिरदारी करने के लिए एक मुर्गा  मंगवाता है जयराज सिंह कहता है कि मैं शुद्ध शाकाहारी हूं प्लीज मेरे लिए इसे मत मारो एसएचओ कहता है सर थोड़ा तो मौका दीजिए खातिरदारी का अपने पैसों से खरीद कर लाए हैं अब तो यह कटेगा भी और पकेगा भी और खाना भी पड़ेगा जयराज सिंह गुस्से में खड़ा हो जाता है और कहता है कि मारने इसे मैं भी नहीं दूंगा एसएचओ कहता है तो क्या कर लेगी दिल्ली पुलिस फिर जयराज सिंह मौके को भाप लेता है इसलिए वह प्यार से कहता है कि सच में मेहमान मानते हो तो प्लीज छोड़ दो उसको फिर वे उस मुर्गे को छोड़ देते हैं दूसरी तरफ सुधीर 50 तरह के सोनू से मिलकर परेशान हो गया था लेकिन हौसले उसके अभी भी बुलंद थे तिहाड़ जेल में सब लोग जयसिंह को बड़े ही अजीब तरीके से घूर रहे थे चाहे वे सब लोग अपराधी ही थे लेकिन कोई भी इस तरह के कुकर्म करके यहां नहीं आया था अब विकास को भी एक होटल में शिफ्ट कर दिया गया था उसका बाप उसे भड़काता है कि तूने उस लड़की को बचाया लेकिन कहीं भी न्यूज़ में तेरा नाम नहीं है तभी डीएसपी मैम की बेटी उनसे मिलने आती है है फिर वह अपनी बेटी को ऑफिस में ले जाती है वहां भूपिंदर के पास एसएचओ राकेश वर्मा का फोन आया हुआ था वह बताता है कि मैं अलोक को ढूंढने नाहरपुर गुड़गांव में गया था लेकिन वो वहां नहीं है कमिश्नर डीसीपी मैम को कहता है कि 3 दिसंबर से पहले हमें चार्ज शीट दाखिल करनी होगी आज से पहले इंडियन पुलिस मुंबई हमले के समय में ही सीएनएन पर आई होगी बहुत प्रेशर है 


जाते समय कमिश्नर बाकी के तीन आरोपियों को देखकर जाते हैं फिर हवालदार उन्हें बताता है कि पूरी दुनिया की निगाहें तुम पर टिकी है क्या सोचती होगी तुम्हारी माएं ब्रिजेश के हाथ में उस समय एक लोहे की सुई थी अब एक प्रेस रिपोर्टर आकाश के पापा से बात करता है और कहता है कि पुलिस का आकाश से बुरा व्यवहार दुनिया के सामने आना जरूरी है आकाश को भी तो अपनी कहानी सुनाने का मौका मिलना चाहिए इस इंटरव्यू से आपका फायदा होगा रात को एसएचओ विनोद जब उन कैदियों को संभालने जाता है तो देखकर घबरा जाता है फिर एक लेडी पुलिस डीसीपी मैम को बुलाने जाती है जब मैडम वहां आती है तो देखती है कि ब्रिजेश और विकास ने सुई से अपने हाथ की नस काट ली है वहां दीवार पर लिखा हुआ था मां माफ कर दे अब यह घटना का पांचवां दिन गुजर जाता है सुबह-सुबह डीसीपी मैम जयराज सिंह के पास फोन करती है और कहती है कि अलोक की ससुराल जाओ जयराज सिंह कहता है वो तो झारखंड में है वो तो टोटली नक्सली इलाका है हमारी हालत यहां बहुत दयनीय है कल एसएचओ जबरदस्ती मुझे नॉनवेज खिला रहा था फिर मैडम उसे डांटती है कि हमारा प्राइम एक्यूज मिसिंग है जल्दी प्लामू जाओ और आलोक को ढूंढो फिर मैडम भूपिंद्र को कहती है यहां दीपिका सारी जिंदगी खाना नहीं खा पाएगी और ये लोग मुझे खाने की कंप्लेंट कर रहे हैं तभी मैडम के पास उसी प्रेस रिपोर्टर का फोन आता है और अब की बार वो बताती है कि आकाश के पापा ने किसी न्यूज़ चैनल से उसके इंटरव्यू की बात करी है मैंने सोचा आपको पता होना चाहिए तभी वहां एसएचओ विनोद आता है 

और कहता है कि रात को यहां जो कुछ भी हुआ उसके लिए मैं जिम्मेदारी लेने के लिए तैयार हूं तभी वहां कमिश्नर का फोन आता है वह पूछते हैं कि रात को इतनी बड़ी घटना हो गई एसएचओ उस समय कहां था मैडम कहती है कि उस समय वह मेरे ही पास था कमिश्नर कहते हैं कि यह बात बाहर नहीं जानी चाहिए फिर मैडम विनोद को कहती है कि सर जी एक काम करो इस बिल्डिंग में जितने भी बंदे हैं उन सबको सेफ रखो अगर तुम पर इल्जाम लगेंगे तो इसमें भी मेरी ही बदनामी है एक बार तो मैडम ने उसको सस्पेंड होने से बचा लिया था लेकिन फिर भी विनोद टेंशन में था इसलिए वह कैदियों को संभालने जाता है थोड़ी देर बाद वहां विमला आती है वो देखती है कि ब्रिजेश रो रहा है पूछने पर विकास बताता है कि इसको लगता है कि इसकी मां को इसके बुरे कामों का पता चल गया होगा और वह मर गई होगी फिर विमला उससे उसकी मां का नंबर लेकर फोन करती है उसकी मां बिल्कुल ठीक थी और उसे अभी तक इस बारे में कुछ नहीं पता था तभी डीसीपी मैम आकाश से मिलने जाती है और उससे पूछती है कि ऐसी क्या जरूरत पड़ गई जो तुम्हें टीवी पर आना है आकाश कहता है मैडम मेरे स्ट्रगल को भी तो बाहर आना चाहिए मैडम कहती है जिनके साथ उन्हें बात की है वे तुम्हें यूज कर रहे हैं इस केस की जरा सी बात भी बाहर निकली तो हम इस केस को लूज कर देंगे मुझे लगता है कि तुम समझ गए होगे तभी जयराज सिंह अपनी टीम के साथ प्लामू पहुंच जाता है वो वहां पल्लवी का घर पूछता है लेकिन एक चाचा बताता है कि वह घर कई दिनों से बंद पड़ा है दूसरी तरफ सुधीर एक और सोनू के पास जाता है यह सोनू उम्र में थोड़ा ज्यादा था फिर सुधीर यहां लाने वाले को को ही पीटने लगता है 

उधर छत्तीसगढ़ के पलामू गांव में जयसिंह गांव वालों को इकट्ठा करके सभी से पूछता है कि पल्लवी का पति अलोक कहां है वो एक दिल्ली में कांड करके भाग आया है आप लोग उसको पकड़ने में हमारी हेल्प करो जरा सोचो अगर हमारे साथ कोई बुरा कर दे तो उसको सजा मिलनी चाहिए या नहीं मिलनी चाहिए फिर लोग वहां से खड़े हो जाते हैं और कहते हैं कि हमें इस पचड़े में फंसना ही नहीं है फिर जयराज सिंह की नजर एक भागते हुए आदमी पर पड़ती है वो अपने साथियों को चलने के लिए कहता है लेकिन चाचा कहता है रात होने वाली है बेहतर यही होगा कि यहां से निकल लो दूसरी तरफ बस स्टैंड पर एक दुकानदार गुड़गांव वाली बस में सोनू को देख लेता है फिर वह जाकर सुधीर को बताता है भाई साहब जिस सोनू को आप ढूंढ रहे हो मैंने उसे गुड़गांव वाली बस में देखा है गुड़गांव गुड़गांव चिल्ला रहा था फिर वो यह बात भूपेंद्र को बताता है भूपेंद्र कहता है कि अगर वह उस बस में काम करता है तो सुबह लौटकर जरूर आएगा तभी डीसीपी मैडम हॉस्पिटल जाती है और डॉक्टर से पूछती है क्या दीपिका बयान देने की हालत में है डॉक्टर बताती है कि वह बार-बार बेहोश हो रही है डीसीपी मैम पूछती है उसकी कंडीशन उसके घाव कैसे हैं हैं डॉक्टर बताती है कि बाहरी घाव तो ठीक हो जाएंगे लेकिन वह रोड बार-बार अंदर डाला गया था और उसके बाद जो आत को खींचकर बाहर निकाला गया था उसकी हम दो बार सर्जरी कर चुके हैं और दोनों बार हम उस घाव को ठीक नहीं कर पाए अब कोई चमत्कार ही उसे बचा सकता है मैं उम्मीद करती हूं आप उन आरोपियों को फांसी तक लेकर जाएंगी 

दूसरी तरफ आज फिर जयराज सिंह के हाथ अपनी मेहनत करने के बाद भी कुछ नहीं लगा आज तो इनको खाना भी नसीब नहीं हुआ था इसलिए वे अपने लिए एक ब्रेड का पैकेट और एक मक्खन की टक्की ले आते हैं जयराज सिंह कहता है कि इधर जिंदगी घिस गई देश की सेवा करते-करते और फिर भी हमें यह खाना पड़ रहा है इससे अच्छा तो हम अमेरिका में पैदा हो जाते एक दिन में एक शिफ्ट लगाओ और मोटी सैलरी पाओ ऊपर से जिम जाने का टाइम अलग से मिलता है तभी उसका साथी कहता है भाई साहब वहां की लेडी पुलिस हम तीनों को अकेला ही पेल देगी हमारे जैसे नहीं है आलू के परांठे बनाए और आ गई पुलिस थाने में जयराज कहता है यह जिंदगी तो झंड हो गई अब अगली बार के लिए पूजा पाठ शुरू कर दो उस रात को भूपेंद्र डीसीपी मैम को बताता है कि शायद सोनू सुबह अपने हाथ लग जाएगा भूपिंदर को एक और टेंशन थी उसकी बेटी की कहीं शादी नहीं हो रही थी जब लड़के वालों को पता चलता है कि यह पुलिस वाला है तो यह सोचकर कि पुलिस वालों की ना दोस्ती अच्छी है ना दुश्मनी वे कोई जवाब ही नहीं देते फिर मैडम कहती है कि तुम शान से बताया करो कि तुम पुलिस वाले हो जो तुम्हारे काम की इज्जत ना करें उसे अपनी बेटी कभी मत दो तभी मैडम के पास फिर से रिपोर्टर का फोन आता है वह कहती है कि आपके समझाने के बाद भी आकाश ने एक टीवी चैनल से डील कर ली है  

7th 

जब रात को मैडम को पता चलता है कि आकाश एक चैनल पर इंटरव्यू देने वाला है तो मैडम गुस्से में उसके पास होटल जाती है भूपेंद्र मैडम को समझाता है प्लीज मैडम प्यार से क्योंकि उसने कोई कानून नहीं तोड़ा है वरना मैं खुद साले को तोड़ देता बस उसे समझाना है कि उसका इंटरव्यू हमारा बना बनाया केस बिगाड़ सकता है फिर मैडम अंदर जाती है और आकाश को कहती है कि तुम्हारे पास तुम्हारी पूरी जिंदगी पड़ी है जो दीपिका के पास नहीं है क्या तुम्हें इस घटना के लिए भी नेम फेम चाहिए तुम जो भी करो सोच समझ के करना फिर मैडम वहां से बाहर जाकर उदास हो जाती है भूपिंदर के पूछने पर मैडम कहती है कि पूरी लाइफ में मेरा दिल दो बार टूटा है एक 4 दिन पहले जब मैंने उस लड़की को देखा और दूसरा आज भूपेंद्र कहता है मैम मुझे लगता है कि दुनिया में 99 % अच्छे लोग हैं बस हम ही मिलकर उन्हें समझा नहीं पाते जैसे-जैसे यह केस नजदीक आ रहा था और भी उलझता जा रहा था 

जब सारी दुनिया सो रही थी तो यह पुलिस वाले सड़कों पर उन आरोपियों को पकड़ने के लिए भागे भागे फिर रहे थे फिर सुधीर और विमला एसएचओ सुभाष गुप्ता के पास गुड़गांव बस स्टैंड पर पहुंच जाते हैं एसएचओ बताता है कि हमारी सभी टीमें बस स्टैंड के आसपास ही सोनू की ताक में खड़ी हैं तुम तीनों भी वहां जाकर खड़े हो जाओ तभी थोड़ी देर बाद वहां एक बस आती है सोनू उसमें नहीं था फिर वो दुकानदार बताता है कि दूसरी तरफ जो अजीब अजीब सी आवाजें निकाल रहा है मुझे लगता है वही सोनू है फिर पुलिस वाले उसे पकड़ लेते हैं फिर वे उसे पुलिस वैन में बिठा लेते हैं उस लड़के का नाम अहमद मंसूरी था उसकी तलाशी लेने पर उन्हें एक फोन मिलता है ये उसी आदमी का फोन था जिसको इन्होंने वारदात से पहले लूटा था फिर वो भी मान जाता है कि उस रात वो उसी बस में था फिर जब उसे वहां से बाहर ले जाने लगते हैं तो विमला उसकी उम्र पूछती है उसे अपनी उम्र पता ही नहीं थी विमला कहती है मुझे यह माइनर लगता है एसएचओ कहता है पागल हो गई हो क्या डिफेंस सारा क्राइम इसके माथे मल देगा इसके चक्कर में वह लोग भी 3 साल में छूट जाएंगे लेकिन बेवकूफ विमला अड़ जाती है कि मैं इसे माइनर में ही बुक करूंगी फिर जब सोनू के पकड़े जाने के बाद यह बात डीसीपी मैम को पता चलती है तो सब लोग खुशी मनाते हैं फिर डीसीपी मैम यह बात कमिश्नर को बताती है दूसरी तरफ जयराज सिंह के पास भी वहां के एसएचओ का फोन आता है वो कहता है उठ जाओ सर जी हमें खबर मिली है कि अलोक घर आ गया है दिल्ली में लोग अभी भी प्रदर्शन कर रहे थे वे सभी दीपिका के लिए इंसाफ मांग रहे थे तभी कमिश्नर साहब के पास कैबिनेट सेक्रेटरी का फोन आता है वह बताता है कि कल रशियन राष्ट्रपति हैदराबाद हाउस में आने वाले हैं और यहां इतने विरोध प्रदर्शन चल रहे हैं इसके लिए हमें क्या करना चाहिए डीसीपी मैडम की बेटी भी प्रदर्शनकारियों के साथ थी अब लोग तोड़ा फोड़ी पर उतर आए थे अब लोग पुलिस पर पत्थर फेंकना भी शुरू कर देते हैं फिर कमिश्नर को बताया जाता है कि कुछ लोग प्रधानमंत्री के उत्तरी कार्यालय तक पहुंच गए हैं फिर कमिश्नर उन्हें लाठी चार्ज और पानी का इस्तेमाल करने के लिए कहते हैं फिर लाठी चार्ज करने से पहले अनाउंसमेंट की जाती है जब लोग फिर भी नहीं मानते तो उन पर पानी की बौछार डाली जाती है उसके बाद लोग बेकाबू हो जाते हैं और पुलिस पर ही टूट पड़ते हैं 

अब टीवी पर न्यूज़ आती है कि पहली पहल पुलिस ने की थी इसलिए भीड़ भड़क गई यह न्यूज़ डीसीपी मैम भी सुन रही थी तभी उसके पास कमिश्नर का फोन आता है वे कहते हैं कि हम दोनों का करियर दाव पे लगा है तुम जल्दी से आखिरी अपराधी को पकड़ लो तभी हमारा केस स्ट्रांग होगा तभी मैडम के पास मैसेज आता है है कि दीपिका बयान देने के लिए तैयार है फिर मैडम मैजिस्ट्रेट को फोन करने के लिए कहती है कमिश्नर के पास फिर से कैबिनेट सेक्रेटरी का फोन आता है कमिशनर कहते हैं कि सरकार को इस मामले में जांच बिठाना चाहिए कि क्या पुलिस की तरफ से कोई लापरवाही हुई है मैं सार्वजनिक रूप से बलात्कार विरोधी कानून में बदलाव का प्रस्ताव दूंगा फिर भीड़ घर चली जाएगी क्योंकि उन्हें लगेगा कि हमने जीत हासिल कर ली है और अगर ऐसा ना हुआ तो पूरी जिम्मेदारी मैं लूंगा बली का बकरा मैं बनूंगा 

थोड़ी देर बाद उस कैबिनेट सेक्रेटरी का फिर से फोन आता है व बताता है कि ऑफिशियल पीएम इस जांच से सहमत नहीं है उनकी नजरों में पुलिस सही काम कर रही है अगर फिर भी आपको लगता है कि इस जांच से पब्लिक शांत हो जाएगी तो हम ऐसा करेंगे फिर वह बताता है कि आज प्रदर्शन में मुख्यमंत्री का बेटा भी देखा गया था उसको लोगों ने घेर लिया था बड़ी ही मुश्किल से पुलिस ने उसे बचाया फिर कमिश्नर मुख्यमंत्री के पास फोन करता है और पूछता है कि अब आपके बेटे की तबीयत कैसी है सुना है पब्लिक उसे पीटने वाली थी लेकिन पुलिस ने उसे बचा लिया मुख्यमंत्री फोन कट कर देते हैं दूसरी तरफ जयराज सिंह एसएचओ को लेकर फिर से उस बूढ़े के पास जाते हैं वो बूढ़ा बताता है कि आपका आदमी यहां आ गया है जाओ पकड़ लो उसे फिर वे सब उसके घर के आसपास और छतों पर सिपाही खड़े कर देते हैं ताकि वह भाग ना पाए फिर जैसे ही जयराज सिंह उसके घर जाता है वह छत पर भाग जाता है फिर घर से थोड़ी दूर जयराज सिंह उसे पकड़ लेता है फिर वे कंफर्म करने के लिए उसको उसके मां-बाप के पास लेकर जाते हैं वे कहते हैं यही है अलोक कुमार उसकी वाइफ कहती है यही है 6 महीने पहले मुझे छोड़कर चला गया था डालो साले को जेल में फिर वे उसे अपनी गाड़ी में बिठाते हैं एसएचओ कहता है मेरे पीछे आओ दूसरी तरफ डीसीपी मैम हॉस्पिटल में मैजिस्ट्रेट का इंतजार कर रही थी तभी मैजिस्ट्रेट मैडम वहां आ जाती है वो कहती है कि मैं दीपिका को बयान देते समय रिकॉर्डिंग करना चाहती हूं लेकिन दीपिका के पिता वीडियो बनाने से मना कर देते हैं फिर मैजिस्ट्रेट मैडम दीपिका के पास जाती है फिर सबको बाहर भेजकर जज मैडम कहती है बेटी शुरू से बताओ उस दिन क्या हुआ था दूसरी तरफ जयराज सिंह भूपेंद्र के पास फोन करता है कि वो पकड़ा गया है भूपिंदर कहता है पहली फ्लाइट पकड़ो और सीधा एयरपोर्ट आ जाओ मगर अलर्ट रहना 

फिर जयराज सिंह एसएचओ को फोन करता है और कहता है जनाब साथ देने के लिए धन्यवाद अब हम चले जाएंगे लेकिन एसएचओ कहता है कि असली काम तो अब शुरू हुआ है आप सबके टारगेट पर हो दूसरी तरफ मैजिस्ट्रेट मैडम अपने भरे हुए दिल से दीपिका का बयान सुन रही थी और उसे नोट कर रही थी फिर बयान लेने के बाद वह वहां से बाहर आ जाती है बाहर आकर वह डीसीपी मैडम को बताती है कि उसने चार पन्नों का बयान दिया है जो बिल्कुल स्पष्ट और मजबूत है डीसीपी मैम कहती है हम आपको उसकी मेडिकल रिपोर्ट भी प्रोवाइड करवा देंगे दूसरी तरफ जब  जयराज सिंह अलोक को एयरपोर्ट लेकर जा रहा था तब रास्ते में हर इंसान की नजर उन पर ही थी जयराज सिंह की फटी पड़ी थी इसलिए वह बार-बार एसएचओ को फोन कर रहा था अलोक कहता है यहां आने की गलती की है अब भुगतो 

अब चलते-चलते शाम हो जाती है और वे पटना हवाई अड्डे पर पहुंच जाते हैं एसएचओ साहब कहते हैं अब आप महफूज हैं सेंट्रल को हमारा सलाम कहना फिर जयराज सिंह भूपेंद्र को बताता है कि हम एयरपोर्ट पर पहुंच गए हैं फिर भूपेंद्र हॉस्पिटल जाता है और खुद जाकर डीसीपी मैडम को बताता है कि आखिरी बंदा भी पकड़ा गया अब मैडम की खुशी का ठिकाना नहीं था इस न्यूज़ ने मैडम के सिर पर रखा हुआ प्रेशर का टोकरा एकदम से हटा दिया था फिर मैडम यह बात जाकर दीपिका की मां को बताती है फिर वो अपने हस्बैंड को फोन करती है कि आज रात मैं घर आ रही हूं फिर वो अपनी बेटी को बताती है कि हमने सभी आरोपियों को पकड़ लिया है फिर वो यह बात कमिश्नर को भी बताती है कमिश्नर के कान कब से तरस रहे थे एक अच्छी न्यूज़ सुनने को एसएचओ विनोद आखिरी बंदे का भी सैंपल ले लेता है जब ये बात आकाश को पता चलती है तो उसे भी बहुत खुशी होती है संजीव गोस्वामी दिल्ली सीएम के बेटे को कहता है कि मैंने कुमार विजय को बाहर निकलवाने के लिए बहुत पैसा लगाया है तुम्हारे बाप ने सब बर्बाद कर दिया अब वह इंक्वायरी बिठाएगा जब तक उसे क्लीन चीट नहीं मिल जाती है

 अब वह हवलदार जो दीपिका और आकाश को स्टार्टिंग में हॉस्पिटल लेकर गया था फाइनली 5 दिन बाद अपने घर चला जाता है व अपनी वाइफ को जाकर खांसी की दवा देता है जो वह 5 दिन पहले लेने निकला था अब निधि सिंह को भी अपनी डबल शिफ्ट से छुटकारा मिल गया था वो लोगों को बातें करते हुए सुन रही थी कि अगर हम कैंडल मार्च ना निकालते तो यह पुलिस अपना काम बिल्कुल नहीं करती थी अब डीसीपी मैडम भी अपने तीनों एसएचओ को ठंड में आइसक्रीम खिलाने ले जाती है उनके साथ हवालदार नारायण भी था जिसको सबसे पहले इस केस के बारे में कॉल आई थी फिर मैडम निधि सिंह को जाकर आइसक्रीम देती है और कहती है तुमने बहुत अच्छा काम किया फिर वह मैडम को कहती है मैम जब मैंने जयसिंह को पहली बार देखा तो वह बहुत प्राउडली बता रहा था कि उसने उस रात क्या-क्या किया यह पूरी दिल्ली इस समय सेलिब्रेट कर रही है और मुझे बिल्कुल खुशी नहीं हो रही इतने में वहां भूपेंद्र आता है वह कहता है मैडम तिहाड़ जेल से फोन आया है जयसिंह ने खुदकुशी कर ली अब उसने सच में खुदकुशी की या जेल में किसी ने उसे मार दिया अब तक पता नहीं चल पाया इस केस की वजह से एक नया एंटी रेप कानून बनाया गया जिसमें आरोपियों को कड़ी सजा देने के लिए और पीड़ितों के लिए फास्ट ट्रैक कोर्ट बनाने का प्रावधान किया गया उन छह आरोपियों को पकड़ने और एक के तिहाड़ जेल में आत्महत्या करने के बाद चार दोषियों को फांसी की सजा हुई नाबालिक सोनू को बरी कर दिया गया लेकिन बरी करने से पहले उसे 3 साल बाल सुधार ग्रह में बिताने पड़े 

29 दिसंबर को सुबह के 4:45 पर निर्भय इस दुनिया को छोड़कर हमेशा के लिए चली जाति हैं निर्भय की मौत के बाद उसके सब को वापस दिल्ली लाया जाता है और कड़ी सुरक्षा के बीच निर्भय का अंतिम संस्कार कर दिया जाता है निर्भय के दोस्त तीन दिन बाद नेशनल टीवी पर इंटरव्यू दिया 

दुनिया इस कैस को निर्भय के नाम से जानती है और कई महीनो तक किसी को निर्भय का असली नाम मालूम नहीं था इसकी वजह यह थी की भारतीय कानून के हिसाब से बलात्कार पीड़िता की असली पहचान जाहिर करना गैरकानूनी है इस करण इस लड़की को तब मीडिया ने निर्भय और दामिनी जैसे नाम दिए थे मगर कानून में यह भी प्रावधान है की अगर विक्टिम के माता-पिता या परिवार वाले चाहे तो वह अपनी इच्छा से उसकी पहचान जाहिर कर सकते हैं इसी कानून का हवाला देते हुए निर्भय के परिवार वालों ने मीडिया में बयान दिया की उनकी बेटी ने ऐसा कुछ नहीं किया है जिससे उसकी पहचान छिपानी पड़े बल्कि हमारी बेटी ने बहादूरी से दरिंदों से मुकाबला किया उसे पर तो हमें गर्व है फिर निर्भय के पिता ने मीडिया से आगे बात करते हुए अपनी बेटी का असली नाम बताया था हमारी इस कहानी की निर्भय का असली नाम ज्योति सिंह है 

दोस्तों आपके अनुसार देश में बलात्कार के मामलों को कम करने के लिए सरकार को क्या कम उठाने चाहिए 

तो फ्रेंड्स इस मूवी का लिंक मैंने कमेंट में pin कर दिया है आप वॉच कर सकते हैं बिल्कुल फ्री में

तो फ्रेंड्स इ इस मूवी की रिव्यू आपको कैसी लगी आप हमें जरूर बताइ

तो फ्रेंड्स अगर आप मूवी देखने के शौकीन है या फिर मूवी को देखने पहले से मूवी की स्टोरी को जानना चाहते हैं या फिर मूवी आपके लिए है या नहीं है या आपके पैसे कहीं वेस्ट ना हो तो हमारे इस चैनल पर आपको इसी तरह के वीडियो मिलते रहेंगे अगर यह रिव्यू आपको पसंद आया हो तो इस वीडियो को लाइक करें अपने फ्रेंड्स के साथ शेयर करें ताकि वह भी जान पाए कि यह मूवी की स्टोरी क्या है और अगर आपने इस मूवी को देख लिया है तो हमें कमेंट करें कि आपको यह मूवी कैसी लगी और हमारे चैनल को सब्सक्राइब करें ताकि हमारे आने वाले मूवी रिव्यू के वीडियो सबसे पहले पहुंचे आप तक यह फिल्म आपको कहां मिलेगी फ्री में देखने के लिए वह मैंने आपको बता दिया है तो जरूर वॉच करें तो फ्रेंड्स मिलते हैं नेक्स्ट वीडियो में फिर किसी और धमाकेदार मूवी के रिव्यु के साथ तब तक के लिए आप हमें दें इजाजत धन्यवाद

Nirbhaya Rape Case | 16 DECEMBER 2012 की रात की खौफनाक कहानी | Crime Ki Kahani,

Post a Comment

Please Don't Write & Enter Here Any Spam link In The Comment Box Thank You!

Previous Post Next Post