Kashi Vishwanath Temple is Located in Varanasi this is a Famous Temple in Varanasi, The Kashi Vishwanath Temple dedicated to Lord Shiva, काशी विश्वनाथ मंदिर से जुडी अद्भुत और अनोखी बातें




Kashi Vishwanath मंदिर भगवान शिव को अधिक प्रिय हैं यह बातें कई पुराणों और ग्रंथों में भी किया गया हैं। काशी में ही शिव भगवान का प्रसिद्ध ज्योतिर्लिंग, स्थापित है। यहाँ वाम (सुंदर) रूप में माँ भगवती के साथ विराजते हैं। ओर यह अद्भुत दृश्य है। हम आपको यह बता दे दुनिया ऐसा दृश्य देखने को नहीं मिल सकता है। तो आइए हम आपको बताते हैं Kashi Vishwanath मंदिर से जुडी हुई रोचक और कहीं और अनकही बातें।

Kashi Vishwanath मंदिर से जुड़े फैक्ट


Kashi Vishwanath का ज्योतिर्लिंग दो भागों में है। ज्योतिर्लिंग के दाहिने भाग में शक्ति की देवी माँ भगवती विराजमान हैं। वही ज्योतिर्लिंग के बायां ओर भगवान शिव वाम (सुंदर) रूप में विराजमान हैं। इसीलिए काशी को मोक्ष प्रवेशमार्ग के नाम से जाना जाता

ज्योतिर्लिंग के दाहिने भाग में माँ भगवती के होने से मुक्ति का मार्ग काशी में खुलता है।, यहां मनुष्य को मुक्ति मिलती है, परन्तु दोबारा गर्भधारणकाल नहीं करना होता है। यहां तारक मंत्र से भोलेनाथ स्वयं लोगों को टार्टे हैं। ऐसा कहा जाता है अकाल मृत्यु से मरने वाला व्यक्ति शिव की पूजा के बिना मुक्ति नहीं पा सकता है।

Kashi Vishwanath मंदिर में श्रृंगार के समय सारी संत मूर्तियों को पश्चिम दिशा में रखा जाता हैं। विश्वनाथ मंदिर के दरबार में गर्भ गृह का शिखर है। Kashi Vishwanath मंदिर में ऊपर की ओर लगी गुंबद में श्री-यंत्र से सुशोभित है। तांत्रिक या सिद्धि को पाने के लिए के लिए यह एक सही स्थान है। Kashi Vishwanath मंदिर को श्री तंत्र-यंत्र साधना के लिए विख्यात है।

तंत्र की नजर से चार प्रमुख प्रवेशमार्ग हैं Kashi Vishwanath मंदिर में:-

1. शांति प्रवेशमार्ग।

2. कला प्रवेशमार्ग।

3. प्रतिष्ठा प्रवेशमार्ग।

4. निवृत्ति प्रवेशमार्ग ।

इन 4 प्रवेशमार्ग को तंत्र में अलग स्थान प्राप्त है। पूरी दुनिया में इकलौता ऐसा जगह है जहाँ तंत्र प्रवेशमार्ग के साथ शिव शक्ति एक साथ स्थित हो।

Kashi Vishwanath मंदिर का ज्योतिर्लिंग गर्भगृह में ईशान कोण उत्तर और पूर्व के बीच की दिशा में स्थित है। यह कोण, संपूर्ण शिक्षा और हर कला से फला फूला दरबार कहलाता है।10 महाविद्याओं और तंत्र-यंत्र का अद्भुत दरबार कहा जाता है, जहां बाबा भोलेनाथ को ईशान नाम ही जाना जाता है।

Kashi Vishwanath मंदिर का प्रमुख प्रवेशमार्ग दक्षिण दिशा में है, और बाबा विश्वनाथ का मुख दक्षिण दिशा में अघोर रूप में है। जिससे की मंदिर का प्रमुख प्रवेशमार्ग दक्षिण से उत्तर की ओर प्रवेश करने के समय होता है। इसीलिए सबसे पहले बाबा विश्वनाथ के अघोर रूप का दर्शन हूँ किया जाता है। यहां पर से प्रवेश करते ही मनुष्य के पूर्व कृत पाप-ताप नष्ट हो जाते हैं।

Geographical Point Of View से देखें तो विश्वनाथ बाबा को शूल पर स्थित माना जाता है। गौदोलिया क्षेत्र और मैदागिन क्षेत्र जहां कभी गोदावरी नदी और जहां कभी मंदाकिनी नदी बहती थी। इन दोनों क्षेत्रों के बीच Gyanvapi में बाबा भोलेनाथ विराजते हैं। Gyanvapi में नीचे जो त्रिशूल की तरह बनता है, ऐसा कहा जाता है कि अगर पूरी सल्तनत खत्म भी हो जाए उसके बाद भी काशी में कभी प्रलय नहीं आ सकता।

The Kashi Vishwanath Temple dedicated to Lord Shiva

बाबा विश्वनाथ काशी में गुरु और राजा के रूप में स्थित है। ऐसा कहा जाता है बाबा विश्वनाथ पूरे दिन भर गुरु रूप में काशी में भ्रमण करते हैं। संध्या 9:00 बजे जब बाबा विश्वनाथ का संध्या बंधन किया जाता है तो बाबा विश्वनाथ राजा के भेष में होते हैं। इसीलिए उन्हें राजेश्वर भी कहा जाता हैं।

काशी में एक प्रतिज्ञा से बाधित हैं। बाबा विश्वनाथ और माँ भगवती माँ भगवती अन्नपूर्णा के स्वरूप में काशी में रहने बाले नगरवासियों का पेट भरा करती हैं। वहीं बाबा विश्वनाथ इंसान की मृत्यु के बाद तारक मंत्र सुना कर मुक्ति प्रदान करते हैं। इसीलिए बाबा को ताड़केश्वर भी कहा जाता हैं।

अगर आपने बाबा विश्वनाथ के अघोर रूप के दर्शन कर लिया तो आपके जन्म जन्मांतर के पाप धुल जाएंगे शिवरात्रि में Baba Vishwanath अघोर रूप में भी इधर-उधर भटकते हैं। बाबा विश्वनाथ के बारात में भूत, प्रेत, पशु, पक्षी, जानवर, और देवता, भी मौजूद होते हैं।

ऐसा माना जाता है कि जब औरंगजेब इस मंदिर का विनाश करने के लिए आया था, तब मंदिर में मौजूद लोगों ने यहां के शिवलिंग की रक्षा करने के लिए उसे मंदिर के पास ही बने एक कुआं में छुपा दिया था। मगर वह कुआं आज भी मंदिर के आस-पास कहीं मौजूद है।

विशेषज्ञों के अनुसार, काशी में मंदिर जो की आज मौजूद है, वह वास्तविक में मंदिर नहीं है। काशी के प्राचीन मंदिर का इतिहास कई साल पुराना है, जिसे औरंगज़ेबी ने नष्ट कर दिया था। बाद में फिर से मंदिर का निर्माण किया गया था, जिसकी पूजा-अर्चना आज भी की जाती है।

Kashi Vishwanath मंदिर का पुनर्निर्माण इन्दौर की रानी अहल्या बाई होल्कर ने बनवाया था। ऐसा कहा जाता है कि 18th शताब्दी के दौरान भगवान शिव ने अहल्या बाई के सपने में उनसे उनका मंदिर बनवाने को कहा था।

Kashi Vishwanath Temple Varanasi

इन्दौर की रानी अहल्या बाई मंदिर निर्माण करवाने के कुछ साल बाद महाराज रणजीत सिंह ने मंदिर में सोने का दान किया था। कहा जाता है कि महाराज रणजीत सिंह ने लगभग एक टन सोने का दान किया था, जिसका प्रयोग से मंदिर के छत्र पर सोना लगाया गया था।

मंदिर के ऊपर सोने का छत्र आज भी है। श्रद्धालु भक्त ऐसा मानना है की अगर कोई भी श्रद्धालु भक्त इस छत्र को देखकर कोई भी प्रार्थना करता है तो उसकी मनोकामना जरूर पूरी होती है।

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