Romeo S3: Release Date, Trailer, Songs, Cast, Romeo S3 Movie Story Explained And Review
Language, Hindi
GenreAction, Thriller
Duration2h 27min
Cast, Thakur Anoop Singh, Palak Tiwari, Shaji Chaudhary, Sammy Jonas Heaney, Sachin Khedekar, Zakir Hussain, Smita Jaykar, Rajesh Khattar
Director, Guddu Dhanoa
Writer, Shailesh Verma
Cinematography, Raju Kay Gee
Music, Harshit Saxena, Dilip Sen, Sameer Sen
Producer, Dhaval Gada, Jayantilal Gada
Production, Pen Studios, Wild River Pictures
Certificate, U/A

Release, Date16 May 2025
Language, Hindi
GenreAction, Thriller
Duration2h 27min
Cast, Thakur Anoop Singh, Palak Tiwari, Shaji Chaudhary, Sammy Jonas Heaney, Sachin Khedekar, Zakir Hussain, Smita Jaykar, Rajesh Khattar
Director, Guddu Dhanoa
Writer, Shailesh Verma
Cinematography, Raju Kay Gee
Music, Harshit Saxena, Dilip Sen, Sameer Sen
Producer, Dhaval Gada, Jayantilal Gada
Production, Pen Studios, Wild River Pictures
Certificate, U/A

Romeo S3 16 मई 2025 को रिलीज़ होने वाली एक हाई-ऑक्टेन हिंदी एक्शन-थ्रिलर फिल्म है। यह फिल्म गोवा की ड्रग तस्करी की दुनिया में सेट है और DCP संग्राम सिंह शेखावत (ठाकुर अनुप सिंह) की कहानी बताती है, जो एक खतरनाक ड्रग कार्टेल को तहस-नहस करने पर आमादा है। साथ ही, फिल्म में पत्रकार तनु (पलक तिवारी) का भी महत्वपूर्ण किरदार है, जो सच की तह तक जाने की जद्दोजहद कर रही है। निर्देशक गुद्दू धनौआ ने इसमें ९० के दशक के मसाला ढर्रे और देसी एक्शन का तड़का लगाया है। फिल्म के निर्माता धवल गाडा और जयंतिलाल गाडा (Pen Studios) हैं, जो Wild River Pictures के सहयोग से इसे बड़े पैमाने पर प्रेजेंट कर रहे हैं। कथानक के साथ-साथ इसकी धुनें और नृत्यमय गीत भी दर्शकों को टिफ शॉक देने को तैयार हैं। कुल मिलाकर Romeo S3 को एक “पापड़ फैला देने वाली” जनता-मनोरंजन फिल्म के रूप में पेश किया जा रहा है, जिसमें देशभक्ति और न्याय का मसाला मिलकर एक विस्फोटक अनुभव देने का वादा करता है।
कहानी का सारांश (स्पॉइलर रहित)
फिल्म की शुरुआत में हम संग्राम सिंह शेखावत से मिलते हैं, जो गोवा का एक दमदार DCP है। वह अपने बेदाग रिकॉर्ड के बावजूद नियम से बाहर जाकर अपराधियों को सबक सिखाने में विश्वास रखता है। उसकी पहली बड़ी चुनौती एक शक्तिशाली ड्रग कार्टेल को नेस्तनाबूद करना है। इसी मिशन के सिलसिले में उसकी मुलाकात तनु से होती है, जो एक जिज्ञासु और निडर पत्रकार है। तनु भी कार्टेल के पर्दे के पीछे की हकीकत खोलने की ठान चुकी है। जब संग्राम और तनु की राहें टकराती हैं, तो दोनों का लक्ष्य एक ही हो जाता है – नक्सली नेटवर्क का पर्दाफाश करना जो पूरे देश को दहशत में डालने की धमकी दे रहा है।
इस भूमिकानिष्ठ सेटअप में Romeo S3 एक कसी हुई एक्सपोज़िंग थ्रिलर के तौर पर उभरती है। छायांकन (Cinematography) भी गोवा के अंडरवर्ल्ड को गहरे और म्लान रंगों में कैद करता है, जैसे इमारतों के बीच धुएं भरी हवा, जलते वाहन और सन्नाटेदार रात की सड़कों पर कंपकंपी पैदा कर देते दृश्य। पुलिस रैपराउंड ऑपरेशन से लेकर हाई-स्पीड कार चेज़ तक, फिल्म का ट्रेलर ही दर्शाता है कि कैसे संग्राम धीमी गति से सलामी मारते हुए अपराधियों पर बरसने के लिए तैयार है। तनु का किरदार साहसी और होशियार है, जो केवल पलकों के इशारे पर नहीं चल रही बल्कि सच के लिए कूद पड़ी है।
सारांशतः Romeo S3 का बिना-स्पॉइलर दृश्य इस प्रकार है: एक फर्राटेदार cop और एक आतिशी पत्रकार मिलकर ड्रग माफिया के रसूखदार सरदारों को ध्वस्त करने के लिए थाने के गिरेबान तक पहुंचते हैं। उनकी कहानी में भरपूर एक्शन sequences, देशभक्ति के जज़्बे और नफरत की गर्माहट है। फिल्म का ट्रेलर दर्शाता है कि संग्राम “न्याय का एकस्ट्रा लेवल” निभाता है, चाहे इसके लिए उसे खुद कानून से उलझना पड़े।
स्पॉइलर-आधारित पूरी कहानी
नोट: नीचे पूरी कहानी का स्पॉइलर है। अगर आप फिल्म देखना चाहते हैं, तो नीचे न पढ़ें।
घटना: संग्राम शेखावत (ठाकुर अनुप सिंह) अपनी टीम के साथ गोवा के ड्रग तस्करी जाल की तह तक पहुंचता है। वह खुद को बदमाशों में शामिल बताकर शरण लेता है और अंततः रॉबिन हुड की तरह काम करना शुरू कर देता है। इसी दौरान उसकी नज़र कार्टेल के एक खतरनाक सरदार, जयंत माखिजा (अमन धलियावल) पर पड़ती है, जो खुद को ‘राक्षस’ कहने से नहीं चूकता। संग्राम को जल्द ही पता चलता है कि सिर्फ ड्रग माफिया ही नहीं, बल्कि उससे कहीं बड़ी साजिश चल रही है। उसकी अपनी सहेली/मेन्टर पुलिस अफसर की हत्या का रहस्य भी खुलता है, जो कार्टेल षड्यंत्र से जुड़ा हुआ है।
क्लाइमैक्स: कहानी का बड़ा मोड़ तब आता है जब पता चलता है कि जयंत एक संक्रामक वायरल हथियार बना रहा है, जिसका केवल उसका परिवार ही इलाज कर सकता है। तनु (पलक तिवारी) इस मामले की तह तक जाने की कोशिश करती है और बदले में जयंत द्वारा बंदी बना ली जाती है। संग्राम ना सिर्फ अपनी टीम के लिए, बल्कि तनु और देश के लिए भी लड़ता है। वो कुशलता से कार्टेल के ठिकानों पर धावा बोलता है, हथियारबंद मुठभेड़ों से गुज़रता है और अंततः जयंत माखिजा व उसके पिताजी को पहचान लेता है।
अंतिम निर्णायक संघर्ष: संग्राम एक बड़े तमाशे के बाद तनु को बचाता है और कोरोना जैसी महामारी के हमलावर विषाणु का इलाज सुरक्षित करता है। फिल्म का अंत विजयी संदेश के साथ होता है: न्याय की तलवार हर तरह के अपराधी और राष्ट्रद्रोहियों पर टूटती है। संग्राम न केवल स्वयं बदला लेता है, बल्कि पूरे देश को एक बड़े तबाही से बचाता है। अंत में, तनु संग्राम की बहादुरी को सलाम करती है और संग्राम समझ जाता है कि उसके संघर्ष की असली जीत कानून की रक्षा में है, व्यक्तिगत बदले में नहीं।
इन तमाम विषयों के बीच बुनियादी रूप से Romeo S3 एक ऐसा संदेश फैलाता है कि अंततः सच्चाई और वीरता की जय होती है। गलत चाहे कितना भी बड़ा जाल बिछाए, मेहनत से काम कर देने वाला नायक अंत में विजयी होता है।
ट्रेलर विश्लेषण
Romeo S3 का ट्रेलर देखने में खुद एक मिनी-फिल्म की तरह लगता है: इसमें दमदार एक्शन और इमोशनल ड्रामा का मेल बखूबी दिखता है। आईए ट्रेलर के कुछ प्रमुख पहलुओं पर गौर करें:
सीन्स और सिनेमैटोग्राफी: ट्रेलर में सबसे पहले संग्राम सिंह (ठाकुर अनुप सिंह) को देखा जा सकता है जो सख्त मुद्रा में खड़ा है। वह दहाड़ता है, जैसे अपराधियों के सिर पर गड़गड़ाहट भरा बिगुल बज गया हो। दृश्य अंधेरे और गहरे शेड्स में कैद हैं, जहां जलते वाहन और डूबते हुए जलते शहर का मंजर दिखाया गया है. कहीं पानी के भीतर तेज़ फाइट सीन हैं, तो कहीं गोवा के तंग-मुड़े रास्तों पर कार चेज़ चल रहा है। कैमरा वाइड शॉट्स में माहौल को डरावना बनाता है। कुल मिलाकर छायांकन (रजु के. जी.) ने गोवा की अंडरवर्ल्ड को एक ग्रिट्टी, रियलिस्टिक रूप में पेश किया है।
एक्शन सीन: ट्रेलर में दृश्यों का तड़का है जबरदस्त एक्शन सीन – धुएँ भरी गोलीबारी, slow-motion एंट्री, हाथापाई, कार के टकराते ही विस्फोट का तमाशा। हर एक पंच और शॉट ऊर्जावान है, जिससे साफ़ लगता है कि यह फिल्म दर्शकों को सीट से जकड़े रखेगी। Gulati Dhanoa की पहचान है बड़े सेटपीस एक्शन और यह ट्रेलर उसमें कोई कमी नहीं रहने देता। भले ही कुछ मूव्स 90 के दशक के थ्रिलर वाले लगते हैं, पर ये दमदार ब्रूलिंग और बैकग्राउंड म्यूज़िक के साथ अभी भी प्रभावी हैं।
पात्र मिलना-जुलना: संग्राम का और तनु का बीच क्रॉसओवर दिखाया गया है, जब वह सीरियस होकर कार्टेल को नाप रहा है तो वह तस्वीरें खींचते हुए दिखती है। इस मुठभेड़ में दोनों की कैमिस्ट्री झलकती है, कि दोनों मिलकर किसी गूढ़ साजिश का पर्दाफाश करने वाले हैं। ट्रेलर के अंत में सलमान खान के मौजूदा प्रोजेक्ट ‘सिकंदर’ के साथ रखकर रिलीज़ कर प्रचार किया गया, जिससे बड़ी ऑडियंस तक इसकी पहुंच सुनिश्चित हो सके।
संवाद और टैगलाइन: ट्रेलर में संवादों की चंद झलकियाँ है, जैसे संग्राम का “इंसाफ मिलेगा” वाक्य। लेकिन सबसे बड़ा विज़ुअल संदेश है #JusticeWillBeServed का टैगलाइन। यह स्लोगन दर्शाता है कि फिल्म भ्रष्टाचार और सामाजिक बुराइयों के ख़िलाफ़ अवैध-सी होने वाली लड़ाई को हाईलाइट करेगी। इस टैगलाइन के साथ फिल्म का प्रचार आधुनिक दर्शकों के “विजिलांते जस्टिस” के ट्रेंड को टारगेट करता है।

जबरदस्त जोड़ी: थ्रिलर के सस्पेंस के बीच थ्रिलर है दोनों ही कलाकारों की जबरदस्त जोड़ी। Thakur Anoop Singh की भलाई-भारी ओवरऑल मौजूदगी और Palak Tiwari की स्मार्ट-एजुकेटेड पत्रकार की छवि देखते ही बनती है। उनका मिलन ट्रेलर में अच्छा मेल खाता है, जैसे दो अलग-अलग संसार टकराने वाले हों। गोवा की लू और बारिश दोनों का एहसास देने वाले ये सीन्स दर्शाते हैं कि Romeo S3 एक गतिमान थ्रिलर बनने जा रही है।
संगीत और गाने
Romeo S3 का संगीत ट्रेलर की तरह ही पावरपैक है। इसमें कुल तीन गाने हैं, सभी के संगीत निर्देशक हैं हर्षित सक्सेना, दिलीप सेन और समीर सेन। गीतों के बोल सभी ही अनुभवहीन गीतकार समीर अंजान ने लिखे हैं। प्रमुख गाने हैं:
“Dhoka Dhoka” – यह एक जोशीला डांस नंबर है, जिसे भुमि त्रिवेदी ने गाया है। हर्षित सक्सेना ने इसका संगीत तैयार किया है। गीत के बोल धोखा और दिल टूटने की वेदना व्यक्त करते हैं। ट्रेलर या प्रोमो में इसमें साइबर-स्टाइल संगीत और बेस वाली बीट है, जो देखने पर नॉस्टैल्जिक 90s की थ्रिलर फिल्म का अहसास देती है। “धोका धोका, ये मेरा दिल तोड़ गया…” जैसे बोल में गहरी पीड़ा और गुस्से की झलक मिलती है। रोमांच के दृश्यों पर यह गाना रोमांटिक-बोल्ड मूड देता है।
“Elaan-E-Ishq” – संग्राम और तनु की बीच रोमांस की झलक को व्यक्त करने वाला रोमांटिक ट्रैक है। इसे हर्षित सक्सेना और पल्क मुंचल ने मिलकर गाया है। हर्षित सक्सेना का संगीत और समीर अंजान की कवितामय लिरिक्स इसे भावपूर्ण बनाती हैं। मैलेजियो मेलोडी और धीरे-धीरे पेचीदा बीट के साथ, यह गीत प्रेम की पुकार है। मुख्य आकर्षण इसका डांसफ्लोर मूड है, जहाँ थॉपर और पलाक के अंदाज़ में नज़ाकत झलकती है। गीत के बोल प्यार की दस्तक और दिल की गहराई बताते हैं।
“Pyar Hai Pyar Hai” – इस गाने को हैश्मत सुल्ताना ने आवाज़ दी है। दिलीप सेन और समीर सेन ने इसका संगीत दिया है। यह गीत अपेक्षाकृत धीमा, भावनात्मक और रूमानी है। इसमें पारंपरिक एलिमेंट्स के साथ आधुनिक साउंड भी मिलते हैं। जैसे “प्यार है प्यार है, हर दिल में…” के बोल जीवन में प्रेम की अहमियत का गुणगान करते हैं। फिल्म के रोमांटिक मोमेंट्स के बीच यह गाना सुकून भरी राहत की तरह काम करेगा।

इन गीतों के बारे में शुरुआती प्रतिक्रियाएँ सकारात्मक रही हैं। “Dhoka Dhoka” अपने उन्मुक्त बीट और ऊर्जा के कारण प्रतियोगी क्लब नंबर जैसा लगता है, जबकि “Elaan-E-Ishq” को इमोशनल गहराई और आकर्षक म्युज़िक वीडियो के लिए सराहा जा रहा है। हर गीत में समीर अंजान की भावविभोर कविताएँ दिल को छू जाती हैं। कुल मिलाकर, Pen Studios द्वारा रिलीज़ हुआ ये म्यूज़िक एल्बम फिल्म के मूड को बढ़ाने के लिए बनाया गया है।
कलाकार और प्रदर्शनों (Cast & Performances)
फिल्म Romeo S3 में मुख्य अभिनेता ठाकुर अनुप सिंह ने DCP संग्राम सिंह शेखावत की भूमिका निभाई है। उन्होंने इस भूमिका को निभाने के लिए भारी कसरत और स्टंट ट्रेनिंग की है, जैसा उन्होंने खुद कहा: “एक्शन असली, raw और relentless है”। संग्राम का किरदार एक सख्त लेकिन न्यायप्रिय पुलिस अफसर का है, जो शानदार ब्रूटल एक्शन और संवेदनशील भावनाओं के बीच संतुलन बनाता है।
मुख्य अभिनेत्री पलक तिवारी ने तनु के किरदार को निभाया है। तनु एक साहसी पत्रकार है जो अपनी बुद्धि और जज़्बे से संग्राम की मदद करती है। पलक तिवारी की उम्र कम होने के बावजूद उन्होंने फिल्म की गहरी और gritty थीम में खुद को जबरदस्त ढंग से ऐडजस्ट किया है। खुद पलक ने बताया कि Guddu धनौआ जैसे अनुभवी निर्देशक के साथ काम करना उनके लिए सीखने वाला रहा। उनकी प्रस्तुति में अलग तरह की ताजगी है; ग्लैमरस दिखने के बजाय वह किरदार में गोता लगाती दिखाई देती हैं।
विपक्षी भूमिका में अमन धलियावल ‘जयंत माखिजा’ के रूप में हैं, जो एक बेखौफ़ और चालाक अपराधी है। जयंत के किरदार को अमन ने दबंग स्टाइल और घमंड के साथ पेश किया है, जिससे दर्शकों को उसका भयभीत रूप दिखता है। फिल्म में कई अनुभवी सहायक कलाकार भी हैं: सतीश खेडेकर, जाकिर हुसैन, राजेश खट्टर, अनंत जोग, गणेश यादव, आशिष वारण और जावेद हयदर जैसे कलाकारों ने अपने-अपने किरदार निभाए हैं। उदाहरण के लिए, स्मिता जयकर गोवा की मुख्यमंत्री ‘सुधा’ के किरदार में हैं, जो एक शक्तिशाली प्राधिकरण को चित्रित करती है। शाजी चौधरी ‘युसुफ़’ नाम के गैंगस्टर के रूप में हैं, जिनका संग्राम से बदला उसकी मिशन में बाधाएं पैदा करता है।
अभिनय की बात करें तो शुरुआती प्रतिक्रियाओं में मिश्रित राय है। कुछ समीक्षकों ने बताया कि कलाकारों ने अपने रोल में खासी मेहनत की है। BookMyShow पर दर्शकों के रिव्यू टैग्स में “#GreatActing” और “#SuperDirection” भी देखने को मिले हैं। खासकर ठाकुर अनुप सिंह के मजबूत स्क्रीन प्रेजेंस की तारीफ़ हुई है, और पलक के साहसी किरदार को भी सराहा गया है। वहीं, कुछ आलोचकों ने फोकस न होने की बात कही है लेकिन दोनों ही मुख्य सितारों की केमिस्ट्री और दृश्यों में उनकी विश्वसनीयता को पॉजिटिव नोट्स दिए गए हैं।
निर्देशन और लेखन (Direction & Writing)
निर्देशक गुद्दू धनौआ बॉलीवुड के अनुभवी एक्शन-निर्देशकों में गिने जाते हैं। उनके निर्देशन में बाज़ीगर, ज़िद्दी, बार्बीस जैसी मसाला फिल्में सामने आई हैं। Romeo S3 उनके इस सृजन को उनकी पहचान वाले श्रंखला में जोड़ती है। उन्होंने कथानक में पुरानी यादों जैसे 90s की थ्रिलर एलिमेंट्स को शामिल किया है और बड़ा एक्शन देने पर जोर दिया है। अभिनेता ठाकुर अनुप सिंह ने भी महसूस किया कि यह फिल्म “मास्सी, हाई-ऑक्टेन एक्शन” से भरपूर है और उन्होंने गद्दे लगाने में पूरी ताकत झोंक दी है। निर्देशक की उत्सुकता और अनुभव का पता ट्रेलर में दिखाई गई कुरेदते हुए दृश्यों से चलता है।

लेखन की ज़िम्मेदारी शैलेश वर्मा के कंधों पर है। हालांकि कहानी में बड़े ट्विस्ट और एक्शन सेटपीस हैं, लेकिन क्रिटिक्स के अनुसार पटकथा और स्क्रीनप्ले अपेक्षाकृत रूढ़िवादी बना रहा है। टाइम्स ऑफ इंडिया ने लिखा कि “शैलेश वर्मा की पटकथा नीरस और रोज़मर्रा की लगती है, प्लॉट फॉर्मूला जैसा है, स्क्रिप्ट में कई बेवजह के मोड़ और अधूरे किरदार रह गए हैं”। एक समीक्षक ने कहा कि फिल्म एक “potboiler” है जिसमें कहानी ज्यादा गहराई नहीं है। इसी प्रकार, निर्देशन की भी कुछ कमी रही, जैसे डायलॉग कमजोर बताये गए; हालांकि युद्धक दृश्यों में थोड़ा दम है। कुल मिलाकर, Romeo S3 का निर्देशन और लेखन पारंपरिक मसाला शैली का पालन करता है – दर्शक एक्शन की अपेक्षा रख सकते हैं, लेकिन गहरी कहानी की तलाश में निराश हो सकते हैं।
तकनीकी पक्ष (Technical Aspects)
छायांकन (Cinematography): फिल्म के लुक के पीछे Raju Kay Gee का हाथ है। उनके कैमरे ने गोवा की उष्णकटिबंधीय फिज़ा और अंडरवर्ल्ड की अधेरी गलियों को खूबसूरती से कैद किया है। कभी समुद्र किनारे की सुनहरी धूप दिखती है, तो कभी अंधेरी तहखानों में लुके अपराधी। विजुअल्स को gritty बनाते हुए, Raju Kay Gee ने बड़े सीक्वेंस में मूड सेट किया है।
एक्शन निर्देशक: खुद गुद्दू धनौआ ने Tinu Verma जैसे अनुभवी स्टंट कोरियोग्राफर की मदद ली है। Tinu Verma का विशेष योगदान था जोरदार लड़ाई और स्टंट डिज़ाइन में। इनके काम को देखकर ट्रेलर के कुछ धाँसू एक्शन सीन्स का अंदाज़ा होता है।
सम्पादन (Editing): रॉहित गुप्ता की जगह राहुल गुप्ता ने फिल्म का एडिट संभाला है। कथा का तरतीबवार लयकारी कायम रखना एक चुनौती थी, खासकर इतने विस्फोटक दृश्यों को एक साथ बांधना। कुछ समीक्षाओं में एडिटिंग को थोड़ा टेढ़ी हुई कहा गया है, लेकिन कुल मिलाकर लगभग २ घंटे २७ मिनट की अवधि को बिना बहुत खिंचाव के निपटाया गया है।
ध्वनि और संगीत: जियो-म्यूजिक के साथ Pen Studios ने ऑडियो बनवाया है। एक्शन दृश्यों में पावरफुल बैकग्राउंड स्कोर के लिए तकनीकी टीम ने भरपूर मेहनत की है। गानों की रिकॉर्डिंग और मिक्सिंग भी पारंपरिक बॉलीवुड साउंड से प्रभावित है। पॉइंट पर जोरदार BGM-बीट्स और दमदार आवाज़ को सुनिश्चित किया गया है।
तकनीकी पक्ष से देखा जाए तो Romeo S3 ग्रामीक एक्शन थ्रिलर बनाने की पूरी कोशिश में है। छायांकन, स्टंट और बैकग्राउंड स्कोर जैसे तत्व मिलकर एक व्यापक सिनेमाई अनुभव तैयार करते हैं, जो फिल्म की एक्शन थ्रिलर पहचान को पुष्ट करते हैं।
अंतिम विचार (Final Thoughts)
Romeo S3 अपने चटपटे मसाले और दिल थामकर देखने वाले एक्शन सीन के साथ उन दर्शकों के लिए है जो बड़े परदे पर परंपरागत बहादुर पुलिसकर्मियों की धमाकेदार कहानी देखने के शौकीन हैं। चूंकि निर्देशक गुद्दू धनौआ की शैली और कहानी दोनों 90s के स्वैग में हैं, इसलिए यह फिल्म नॉस्टैल्जिया की खुशबू भी देती है। कहानी में देशभक्ति और न्याय के सुर मिक्स हैं, तो रोमांस और ऐक्शन का तड़का भी। ठाकुर अनुप सिंह का गुंड-रोस्टरमैन रोल और पलक तिवारी का बुद्धिमान पत्रकार रूप आपको मज़बूत ही रखना चाहिए।
हालांकि Romeo S3 को कुछ आलोचनाओं का सामना करना पड़ा है – स्क्रिप्ट कभी-कभी जगह-जगह खिसकी हुई लगती है, और प्रेम प्रसंग थोड़ा एकतरफा रह जाता है – मगर बड़े सीन, जबरदस्त एक्शन सेटपीस और राष्ट्रीय सुरक्षा के तेज़तर्रार रोमांच इसे मसाला फिल्म की श्रेणी में टिकाए रखता है। गाने जहां फिल्म को ब्रेक देते हैं, वहीं कुछ दर्शक उन्हें कहानी में बाधा मान सकते हैं। यदि आप सिंगम या सत्या जैसे स्टाइलिश कॉप ड्रामे पसंद करते हैं, तो Romeo S3 आपको बड़ी स्क्रीन पर थ्रिल पॅकेज के रूप में मनोरंजन देगा।
अंत में, यह फिल्म खुद को “पारंपरिक पुलिस बनाम अपराध” की लड़ाई कहेगी तो शायद कम कहा होगा – यह एक्शन, इमोशन, और देशभक्ति का संगम है। नायाब टॉक, धीमी-मोशन वाले मुठभेड़, औऱ नैतिक संदेश के साथ, Romeo S3 अपने दर्शकों को एंटरटेन करके देशद्रोहियों और भ्रष्टाचार की बला से सताए देश को बचाने का संदेश देती है। अगर आप 16 मई को सिनेमाघरों में नई एक्शन गाथा के लिए तैयार हैं, तो Romeo S3 देखने के लिए एक्शन-पैक्ड विजुअल ट्रिट होने वाला है।
कहानी का सारांश (स्पॉइलर रहित)
फिल्म की शुरुआत में हम संग्राम सिंह शेखावत से मिलते हैं, जो गोवा का एक दमदार DCP है। वह अपने बेदाग रिकॉर्ड के बावजूद नियम से बाहर जाकर अपराधियों को सबक सिखाने में विश्वास रखता है। उसकी पहली बड़ी चुनौती एक शक्तिशाली ड्रग कार्टेल को नेस्तनाबूद करना है। इसी मिशन के सिलसिले में उसकी मुलाकात तनु से होती है, जो एक जिज्ञासु और निडर पत्रकार है। तनु भी कार्टेल के पर्दे के पीछे की हकीकत खोलने की ठान चुकी है। जब संग्राम और तनु की राहें टकराती हैं, तो दोनों का लक्ष्य एक ही हो जाता है – नक्सली नेटवर्क का पर्दाफाश करना जो पूरे देश को दहशत में डालने की धमकी दे रहा है।
इस भूमिकानिष्ठ सेटअप में Romeo S3 एक कसी हुई एक्सपोज़िंग थ्रिलर के तौर पर उभरती है। छायांकन (Cinematography) भी गोवा के अंडरवर्ल्ड को गहरे और म्लान रंगों में कैद करता है, जैसे इमारतों के बीच धुएं भरी हवा, जलते वाहन और सन्नाटेदार रात की सड़कों पर कंपकंपी पैदा कर देते दृश्य। पुलिस रैपराउंड ऑपरेशन से लेकर हाई-स्पीड कार चेज़ तक, फिल्म का ट्रेलर ही दर्शाता है कि कैसे संग्राम धीमी गति से सलामी मारते हुए अपराधियों पर बरसने के लिए तैयार है। तनु का किरदार साहसी और होशियार है, जो केवल पलकों के इशारे पर नहीं चल रही बल्कि सच के लिए कूद पड़ी है।

सारांशतः Romeo S3 का बिना-स्पॉइलर दृश्य इस प्रकार है: एक फर्राटेदार cop और एक आतिशी पत्रकार मिलकर ड्रग माफिया के रसूखदार सरदारों को ध्वस्त करने के लिए थाने के गिरेबान तक पहुंचते हैं। उनकी कहानी में भरपूर एक्शन sequences, देशभक्ति के जज़्बे और नफरत की गर्माहट है। फिल्म का ट्रेलर दर्शाता है कि संग्राम “न्याय का एकस्ट्रा लेवल” निभाता है, चाहे इसके लिए उसे खुद कानून से उलझना पड़े।
स्पॉइलर-आधारित पूरी कहानी
नोट: नीचे पूरी कहानी का स्पॉइलर है। अगर आप फिल्म देखना चाहते हैं, तो नीचे न पढ़ें।
घटना: संग्राम शेखावत (ठाकुर अनुप सिंह) अपनी टीम के साथ गोवा के ड्रग तस्करी जाल की तह तक पहुंचता है। वह खुद को बदमाशों में शामिल बताकर शरण लेता है और अंततः रॉबिन हुड की तरह काम करना शुरू कर देता है। इसी दौरान उसकी नज़र कार्टेल के एक खतरनाक सरदार, जयंत माखिजा (अमन धलियावल) पर पड़ती है, जो खुद को ‘राक्षस’ कहने से नहीं चूकता। संग्राम को जल्द ही पता चलता है कि सिर्फ ड्रग माफिया ही नहीं, बल्कि उससे कहीं बड़ी साजिश चल रही है। उसकी अपनी सहेली/मेन्टर पुलिस अफसर की हत्या का रहस्य भी खुलता है, जो कार्टेल षड्यंत्र से जुड़ा हुआ है।
क्लाइमैक्स: कहानी का बड़ा मोड़ तब आता है जब पता चलता है कि जयंत एक संक्रामक वायरल हथियार बना रहा है, जिसका केवल उसका परिवार ही इलाज कर सकता है। तनु (पलक तिवारी) इस मामले की तह तक जाने की कोशिश करती है और बदले में जयंत द्वारा बंदी बना ली जाती है। संग्राम ना सिर्फ अपनी टीम के लिए, बल्कि तनु और देश के लिए भी लड़ता है। वो कुशलता से कार्टेल के ठिकानों पर धावा बोलता है, हथियारबंद मुठभेड़ों से गुज़रता है और अंततः जयंत माखिजा व उसके पिताजी को पहचान लेता है।
अंतिम निर्णायक संघर्ष: संग्राम एक बड़े तमाशे के बाद तनु को बचाता है और कोरोना जैसी महामारी के हमलावर विषाणु का इलाज सुरक्षित करता है। फिल्म का अंत विजयी संदेश के साथ होता है: न्याय की तलवार हर तरह के अपराधी और राष्ट्रद्रोहियों पर टूटती है। संग्राम न केवल स्वयं बदला लेता है, बल्कि पूरे देश को एक बड़े तबाही से बचाता है। अंत में, तनु संग्राम की बहादुरी को सलाम करती है और संग्राम समझ जाता है कि उसके संघर्ष की असली जीत कानून की रक्षा में है, व्यक्तिगत बदले में नहीं।
विषय और संदेश (Themes & Messages)
Romeo S3 बहुमुखी विषयों पर आधारित है, जिनमें शामिल हैं:
न्याय एवं बदला: मुख्य नायक संग्राम के चरित्र में न्याय की आग और निज़ाम-ए-कानून से बाहर जाकर दोषियों को दंडित करने की चाह दिखती है। उसकी कार्रवाई अक्सर सताए हुए मासूमों के लिए हिसाब-किताब होने जैसा लगता है। फिल्म यह संदेश देती है कि कभी-कभी सिस्टम की सीमाएं पार कर करुणा दिखाकर बड़ा न्याय भी हो सकता है।
देशभक्ति और राष्ट्र की रक्षा: कहानी में अपराधियों द्वारा देश के प्रति खतरनाक षड्यंत्र रचा गया है, जिससे जनता को आशंकित होना चाहिए। संग्राम का संघर्ष व्यक्तिगत मनमुटाव नहीं है, बल्कि एक बड़े पैमाने पर देश की सुरक्षा से जुड़ा है। इस बात की झलक Romeo S3 में मिलती है कि सीना ठोककर नापाक ताकतों से टकराना भी एक तरह की देशभक्ति है।
विश्वासघात और साजिश: फिल्म में दिखाया गया है कि चोर ही नहीं, कोई-किसी को बेवकूफ बनाने में लगा हुआ है। बड़े स्तर पर चल रही साजिश में खलनायकों ने देश में भय फैलाने के लिए विषाणु हथियार तक तैयार कर रखा है। यह विषय बताता है कि कुछ लोग राष्ट्र को नुकसान पहुंचाने में कोई कसर नहीं छोड़ते।
विजिलांते (स्वयंरक्षा): संग्राम का व्यक्तित्व पारंपरिक पुलिस से हटकर है – वह स्वयं न्याय सुनिश्चित करने में विश्वास रखता है, चाहे उसके लिए एक्स्ट्रा लेगल कदम क्यों न उठाना पड़े। फिल्म की ट्रेलर भी यह दिखाती है कि वह अपने हिसाब का “वकील” बनकर चलता है।
पत्रकारिता और सत्य: तनु की भूमिका यह बताती है कि एक ईमानदार पत्रकार भी समाज में बुराई के खिलाफ खड़ा हो सकता है। उसकी सच्चाई खोजने की जिज्ञासा अंततः संग्राम की मुहीम से मिलकर बड़ी साजिश के पर्दे खोल देती है। इस तरह फिल्म मे यह संदेश भी है कि शब्दों की ताकत दुश्मन की चाल को बेनकाब कर सकती है।
प्रेम और मानवीय भावनाएँ: कहानी में तनु का संग्राम के प्रति एकतरफा प्यार भी दिखाया गया है। हालांकि यह प्रेम-प्रसंग ज़्यादा समय नहीं लेता, पर यह इंसानियत की गर्माहट भरता है। संग्राम अपनी निजी इच्छाओं से ऊपर उठकर देश की भलाई को प्राथमिकता देता है।
Romeo S3 बहुमुखी विषयों पर आधारित है, जिनमें शामिल हैं:
न्याय एवं बदला: मुख्य नायक संग्राम के चरित्र में न्याय की आग और निज़ाम-ए-कानून से बाहर जाकर दोषियों को दंडित करने की चाह दिखती है। उसकी कार्रवाई अक्सर सताए हुए मासूमों के लिए हिसाब-किताब होने जैसा लगता है। फिल्म यह संदेश देती है कि कभी-कभी सिस्टम की सीमाएं पार कर करुणा दिखाकर बड़ा न्याय भी हो सकता है।
देशभक्ति और राष्ट्र की रक्षा: कहानी में अपराधियों द्वारा देश के प्रति खतरनाक षड्यंत्र रचा गया है, जिससे जनता को आशंकित होना चाहिए। संग्राम का संघर्ष व्यक्तिगत मनमुटाव नहीं है, बल्कि एक बड़े पैमाने पर देश की सुरक्षा से जुड़ा है। इस बात की झलक Romeo S3 में मिलती है कि सीना ठोककर नापाक ताकतों से टकराना भी एक तरह की देशभक्ति है।
विश्वासघात और साजिश: फिल्म में दिखाया गया है कि चोर ही नहीं, कोई-किसी को बेवकूफ बनाने में लगा हुआ है। बड़े स्तर पर चल रही साजिश में खलनायकों ने देश में भय फैलाने के लिए विषाणु हथियार तक तैयार कर रखा है। यह विषय बताता है कि कुछ लोग राष्ट्र को नुकसान पहुंचाने में कोई कसर नहीं छोड़ते।
विजिलांते (स्वयंरक्षा): संग्राम का व्यक्तित्व पारंपरिक पुलिस से हटकर है – वह स्वयं न्याय सुनिश्चित करने में विश्वास रखता है, चाहे उसके लिए एक्स्ट्रा लेगल कदम क्यों न उठाना पड़े। फिल्म की ट्रेलर भी यह दिखाती है कि वह अपने हिसाब का “वकील” बनकर चलता है।
पत्रकारिता और सत्य: तनु की भूमिका यह बताती है कि एक ईमानदार पत्रकार भी समाज में बुराई के खिलाफ खड़ा हो सकता है। उसकी सच्चाई खोजने की जिज्ञासा अंततः संग्राम की मुहीम से मिलकर बड़ी साजिश के पर्दे खोल देती है। इस तरह फिल्म मे यह संदेश भी है कि शब्दों की ताकत दुश्मन की चाल को बेनकाब कर सकती है।
प्रेम और मानवीय भावनाएँ: कहानी में तनु का संग्राम के प्रति एकतरफा प्यार भी दिखाया गया है। हालांकि यह प्रेम-प्रसंग ज़्यादा समय नहीं लेता, पर यह इंसानियत की गर्माहट भरता है। संग्राम अपनी निजी इच्छाओं से ऊपर उठकर देश की भलाई को प्राथमिकता देता है।

इन तमाम विषयों के बीच बुनियादी रूप से Romeo S3 एक ऐसा संदेश फैलाता है कि अंततः सच्चाई और वीरता की जय होती है। गलत चाहे कितना भी बड़ा जाल बिछाए, मेहनत से काम कर देने वाला नायक अंत में विजयी होता है।
ट्रेलर विश्लेषण
Romeo S3 का ट्रेलर देखने में खुद एक मिनी-फिल्म की तरह लगता है: इसमें दमदार एक्शन और इमोशनल ड्रामा का मेल बखूबी दिखता है। आईए ट्रेलर के कुछ प्रमुख पहलुओं पर गौर करें:
सीन्स और सिनेमैटोग्राफी: ट्रेलर में सबसे पहले संग्राम सिंह (ठाकुर अनुप सिंह) को देखा जा सकता है जो सख्त मुद्रा में खड़ा है। वह दहाड़ता है, जैसे अपराधियों के सिर पर गड़गड़ाहट भरा बिगुल बज गया हो। दृश्य अंधेरे और गहरे शेड्स में कैद हैं, जहां जलते वाहन और डूबते हुए जलते शहर का मंजर दिखाया गया है. कहीं पानी के भीतर तेज़ फाइट सीन हैं, तो कहीं गोवा के तंग-मुड़े रास्तों पर कार चेज़ चल रहा है। कैमरा वाइड शॉट्स में माहौल को डरावना बनाता है। कुल मिलाकर छायांकन (रजु के. जी.) ने गोवा की अंडरवर्ल्ड को एक ग्रिट्टी, रियलिस्टिक रूप में पेश किया है।
एक्शन सीन: ट्रेलर में दृश्यों का तड़का है जबरदस्त एक्शन सीन – धुएँ भरी गोलीबारी, slow-motion एंट्री, हाथापाई, कार के टकराते ही विस्फोट का तमाशा। हर एक पंच और शॉट ऊर्जावान है, जिससे साफ़ लगता है कि यह फिल्म दर्शकों को सीट से जकड़े रखेगी। Gulati Dhanoa की पहचान है बड़े सेटपीस एक्शन और यह ट्रेलर उसमें कोई कमी नहीं रहने देता। भले ही कुछ मूव्स 90 के दशक के थ्रिलर वाले लगते हैं, पर ये दमदार ब्रूलिंग और बैकग्राउंड म्यूज़िक के साथ अभी भी प्रभावी हैं।
पात्र मिलना-जुलना: संग्राम का और तनु का बीच क्रॉसओवर दिखाया गया है, जब वह सीरियस होकर कार्टेल को नाप रहा है तो वह तस्वीरें खींचते हुए दिखती है। इस मुठभेड़ में दोनों की कैमिस्ट्री झलकती है, कि दोनों मिलकर किसी गूढ़ साजिश का पर्दाफाश करने वाले हैं। ट्रेलर के अंत में सलमान खान के मौजूदा प्रोजेक्ट ‘सिकंदर’ के साथ रखकर रिलीज़ कर प्रचार किया गया, जिससे बड़ी ऑडियंस तक इसकी पहुंच सुनिश्चित हो सके।
संवाद और टैगलाइन: ट्रेलर में संवादों की चंद झलकियाँ है, जैसे संग्राम का “इंसाफ मिलेगा” वाक्य। लेकिन सबसे बड़ा विज़ुअल संदेश है #JusticeWillBeServed का टैगलाइन। यह स्लोगन दर्शाता है कि फिल्म भ्रष्टाचार और सामाजिक बुराइयों के ख़िलाफ़ अवैध-सी होने वाली लड़ाई को हाईलाइट करेगी। इस टैगलाइन के साथ फिल्म का प्रचार आधुनिक दर्शकों के “विजिलांते जस्टिस” के ट्रेंड को टारगेट करता है।

जबरदस्त जोड़ी: थ्रिलर के सस्पेंस के बीच थ्रिलर है दोनों ही कलाकारों की जबरदस्त जोड़ी। Thakur Anoop Singh की भलाई-भारी ओवरऑल मौजूदगी और Palak Tiwari की स्मार्ट-एजुकेटेड पत्रकार की छवि देखते ही बनती है। उनका मिलन ट्रेलर में अच्छा मेल खाता है, जैसे दो अलग-अलग संसार टकराने वाले हों। गोवा की लू और बारिश दोनों का एहसास देने वाले ये सीन्स दर्शाते हैं कि Romeo S3 एक गतिमान थ्रिलर बनने जा रही है।
संगीत और गाने
Romeo S3 का संगीत ट्रेलर की तरह ही पावरपैक है। इसमें कुल तीन गाने हैं, सभी के संगीत निर्देशक हैं हर्षित सक्सेना, दिलीप सेन और समीर सेन। गीतों के बोल सभी ही अनुभवहीन गीतकार समीर अंजान ने लिखे हैं। प्रमुख गाने हैं:
“Dhoka Dhoka” – यह एक जोशीला डांस नंबर है, जिसे भुमि त्रिवेदी ने गाया है। हर्षित सक्सेना ने इसका संगीत तैयार किया है। गीत के बोल धोखा और दिल टूटने की वेदना व्यक्त करते हैं। ट्रेलर या प्रोमो में इसमें साइबर-स्टाइल संगीत और बेस वाली बीट है, जो देखने पर नॉस्टैल्जिक 90s की थ्रिलर फिल्म का अहसास देती है। “धोका धोका, ये मेरा दिल तोड़ गया…” जैसे बोल में गहरी पीड़ा और गुस्से की झलक मिलती है। रोमांच के दृश्यों पर यह गाना रोमांटिक-बोल्ड मूड देता है।
“Elaan-E-Ishq” – संग्राम और तनु की बीच रोमांस की झलक को व्यक्त करने वाला रोमांटिक ट्रैक है। इसे हर्षित सक्सेना और पल्क मुंचल ने मिलकर गाया है। हर्षित सक्सेना का संगीत और समीर अंजान की कवितामय लिरिक्स इसे भावपूर्ण बनाती हैं। मैलेजियो मेलोडी और धीरे-धीरे पेचीदा बीट के साथ, यह गीत प्रेम की पुकार है। मुख्य आकर्षण इसका डांसफ्लोर मूड है, जहाँ थॉपर और पलाक के अंदाज़ में नज़ाकत झलकती है। गीत के बोल प्यार की दस्तक और दिल की गहराई बताते हैं।
“Pyar Hai Pyar Hai” – इस गाने को हैश्मत सुल्ताना ने आवाज़ दी है। दिलीप सेन और समीर सेन ने इसका संगीत दिया है। यह गीत अपेक्षाकृत धीमा, भावनात्मक और रूमानी है। इसमें पारंपरिक एलिमेंट्स के साथ आधुनिक साउंड भी मिलते हैं। जैसे “प्यार है प्यार है, हर दिल में…” के बोल जीवन में प्रेम की अहमियत का गुणगान करते हैं। फिल्म के रोमांटिक मोमेंट्स के बीच यह गाना सुकून भरी राहत की तरह काम करेगा।

इन गीतों के बारे में शुरुआती प्रतिक्रियाएँ सकारात्मक रही हैं। “Dhoka Dhoka” अपने उन्मुक्त बीट और ऊर्जा के कारण प्रतियोगी क्लब नंबर जैसा लगता है, जबकि “Elaan-E-Ishq” को इमोशनल गहराई और आकर्षक म्युज़िक वीडियो के लिए सराहा जा रहा है। हर गीत में समीर अंजान की भावविभोर कविताएँ दिल को छू जाती हैं। कुल मिलाकर, Pen Studios द्वारा रिलीज़ हुआ ये म्यूज़िक एल्बम फिल्म के मूड को बढ़ाने के लिए बनाया गया है।
कलाकार और प्रदर्शनों (Cast & Performances)
फिल्म Romeo S3 में मुख्य अभिनेता ठाकुर अनुप सिंह ने DCP संग्राम सिंह शेखावत की भूमिका निभाई है। उन्होंने इस भूमिका को निभाने के लिए भारी कसरत और स्टंट ट्रेनिंग की है, जैसा उन्होंने खुद कहा: “एक्शन असली, raw और relentless है”। संग्राम का किरदार एक सख्त लेकिन न्यायप्रिय पुलिस अफसर का है, जो शानदार ब्रूटल एक्शन और संवेदनशील भावनाओं के बीच संतुलन बनाता है।
मुख्य अभिनेत्री पलक तिवारी ने तनु के किरदार को निभाया है। तनु एक साहसी पत्रकार है जो अपनी बुद्धि और जज़्बे से संग्राम की मदद करती है। पलक तिवारी की उम्र कम होने के बावजूद उन्होंने फिल्म की गहरी और gritty थीम में खुद को जबरदस्त ढंग से ऐडजस्ट किया है। खुद पलक ने बताया कि Guddu धनौआ जैसे अनुभवी निर्देशक के साथ काम करना उनके लिए सीखने वाला रहा। उनकी प्रस्तुति में अलग तरह की ताजगी है; ग्लैमरस दिखने के बजाय वह किरदार में गोता लगाती दिखाई देती हैं।
विपक्षी भूमिका में अमन धलियावल ‘जयंत माखिजा’ के रूप में हैं, जो एक बेखौफ़ और चालाक अपराधी है। जयंत के किरदार को अमन ने दबंग स्टाइल और घमंड के साथ पेश किया है, जिससे दर्शकों को उसका भयभीत रूप दिखता है। फिल्म में कई अनुभवी सहायक कलाकार भी हैं: सतीश खेडेकर, जाकिर हुसैन, राजेश खट्टर, अनंत जोग, गणेश यादव, आशिष वारण और जावेद हयदर जैसे कलाकारों ने अपने-अपने किरदार निभाए हैं। उदाहरण के लिए, स्मिता जयकर गोवा की मुख्यमंत्री ‘सुधा’ के किरदार में हैं, जो एक शक्तिशाली प्राधिकरण को चित्रित करती है। शाजी चौधरी ‘युसुफ़’ नाम के गैंगस्टर के रूप में हैं, जिनका संग्राम से बदला उसकी मिशन में बाधाएं पैदा करता है।
अभिनय की बात करें तो शुरुआती प्रतिक्रियाओं में मिश्रित राय है। कुछ समीक्षकों ने बताया कि कलाकारों ने अपने रोल में खासी मेहनत की है। BookMyShow पर दर्शकों के रिव्यू टैग्स में “#GreatActing” और “#SuperDirection” भी देखने को मिले हैं। खासकर ठाकुर अनुप सिंह के मजबूत स्क्रीन प्रेजेंस की तारीफ़ हुई है, और पलक के साहसी किरदार को भी सराहा गया है। वहीं, कुछ आलोचकों ने फोकस न होने की बात कही है लेकिन दोनों ही मुख्य सितारों की केमिस्ट्री और दृश्यों में उनकी विश्वसनीयता को पॉजिटिव नोट्स दिए गए हैं।
निर्देशन और लेखन (Direction & Writing)
निर्देशक गुद्दू धनौआ बॉलीवुड के अनुभवी एक्शन-निर्देशकों में गिने जाते हैं। उनके निर्देशन में बाज़ीगर, ज़िद्दी, बार्बीस जैसी मसाला फिल्में सामने आई हैं। Romeo S3 उनके इस सृजन को उनकी पहचान वाले श्रंखला में जोड़ती है। उन्होंने कथानक में पुरानी यादों जैसे 90s की थ्रिलर एलिमेंट्स को शामिल किया है और बड़ा एक्शन देने पर जोर दिया है। अभिनेता ठाकुर अनुप सिंह ने भी महसूस किया कि यह फिल्म “मास्सी, हाई-ऑक्टेन एक्शन” से भरपूर है और उन्होंने गद्दे लगाने में पूरी ताकत झोंक दी है। निर्देशक की उत्सुकता और अनुभव का पता ट्रेलर में दिखाई गई कुरेदते हुए दृश्यों से चलता है।

लेखन की ज़िम्मेदारी शैलेश वर्मा के कंधों पर है। हालांकि कहानी में बड़े ट्विस्ट और एक्शन सेटपीस हैं, लेकिन क्रिटिक्स के अनुसार पटकथा और स्क्रीनप्ले अपेक्षाकृत रूढ़िवादी बना रहा है। टाइम्स ऑफ इंडिया ने लिखा कि “शैलेश वर्मा की पटकथा नीरस और रोज़मर्रा की लगती है, प्लॉट फॉर्मूला जैसा है, स्क्रिप्ट में कई बेवजह के मोड़ और अधूरे किरदार रह गए हैं”। एक समीक्षक ने कहा कि फिल्म एक “potboiler” है जिसमें कहानी ज्यादा गहराई नहीं है। इसी प्रकार, निर्देशन की भी कुछ कमी रही, जैसे डायलॉग कमजोर बताये गए; हालांकि युद्धक दृश्यों में थोड़ा दम है। कुल मिलाकर, Romeo S3 का निर्देशन और लेखन पारंपरिक मसाला शैली का पालन करता है – दर्शक एक्शन की अपेक्षा रख सकते हैं, लेकिन गहरी कहानी की तलाश में निराश हो सकते हैं।
तकनीकी पक्ष (Technical Aspects)
छायांकन (Cinematography): फिल्म के लुक के पीछे Raju Kay Gee का हाथ है। उनके कैमरे ने गोवा की उष्णकटिबंधीय फिज़ा और अंडरवर्ल्ड की अधेरी गलियों को खूबसूरती से कैद किया है। कभी समुद्र किनारे की सुनहरी धूप दिखती है, तो कभी अंधेरी तहखानों में लुके अपराधी। विजुअल्स को gritty बनाते हुए, Raju Kay Gee ने बड़े सीक्वेंस में मूड सेट किया है।
एक्शन निर्देशक: खुद गुद्दू धनौआ ने Tinu Verma जैसे अनुभवी स्टंट कोरियोग्राफर की मदद ली है। Tinu Verma का विशेष योगदान था जोरदार लड़ाई और स्टंट डिज़ाइन में। इनके काम को देखकर ट्रेलर के कुछ धाँसू एक्शन सीन्स का अंदाज़ा होता है।
सम्पादन (Editing): रॉहित गुप्ता की जगह राहुल गुप्ता ने फिल्म का एडिट संभाला है। कथा का तरतीबवार लयकारी कायम रखना एक चुनौती थी, खासकर इतने विस्फोटक दृश्यों को एक साथ बांधना। कुछ समीक्षाओं में एडिटिंग को थोड़ा टेढ़ी हुई कहा गया है, लेकिन कुल मिलाकर लगभग २ घंटे २७ मिनट की अवधि को बिना बहुत खिंचाव के निपटाया गया है।
ध्वनि और संगीत: जियो-म्यूजिक के साथ Pen Studios ने ऑडियो बनवाया है। एक्शन दृश्यों में पावरफुल बैकग्राउंड स्कोर के लिए तकनीकी टीम ने भरपूर मेहनत की है। गानों की रिकॉर्डिंग और मिक्सिंग भी पारंपरिक बॉलीवुड साउंड से प्रभावित है। पॉइंट पर जोरदार BGM-बीट्स और दमदार आवाज़ को सुनिश्चित किया गया है।
तकनीकी पक्ष से देखा जाए तो Romeo S3 ग्रामीक एक्शन थ्रिलर बनाने की पूरी कोशिश में है। छायांकन, स्टंट और बैकग्राउंड स्कोर जैसे तत्व मिलकर एक व्यापक सिनेमाई अनुभव तैयार करते हैं, जो फिल्म की एक्शन थ्रिलर पहचान को पुष्ट करते हैं।
अंतिम विचार (Final Thoughts)
Romeo S3 अपने चटपटे मसाले और दिल थामकर देखने वाले एक्शन सीन के साथ उन दर्शकों के लिए है जो बड़े परदे पर परंपरागत बहादुर पुलिसकर्मियों की धमाकेदार कहानी देखने के शौकीन हैं। चूंकि निर्देशक गुद्दू धनौआ की शैली और कहानी दोनों 90s के स्वैग में हैं, इसलिए यह फिल्म नॉस्टैल्जिया की खुशबू भी देती है। कहानी में देशभक्ति और न्याय के सुर मिक्स हैं, तो रोमांस और ऐक्शन का तड़का भी। ठाकुर अनुप सिंह का गुंड-रोस्टरमैन रोल और पलक तिवारी का बुद्धिमान पत्रकार रूप आपको मज़बूत ही रखना चाहिए।
हालांकि Romeo S3 को कुछ आलोचनाओं का सामना करना पड़ा है – स्क्रिप्ट कभी-कभी जगह-जगह खिसकी हुई लगती है, और प्रेम प्रसंग थोड़ा एकतरफा रह जाता है – मगर बड़े सीन, जबरदस्त एक्शन सेटपीस और राष्ट्रीय सुरक्षा के तेज़तर्रार रोमांच इसे मसाला फिल्म की श्रेणी में टिकाए रखता है। गाने जहां फिल्म को ब्रेक देते हैं, वहीं कुछ दर्शक उन्हें कहानी में बाधा मान सकते हैं। यदि आप सिंगम या सत्या जैसे स्टाइलिश कॉप ड्रामे पसंद करते हैं, तो Romeo S3 आपको बड़ी स्क्रीन पर थ्रिल पॅकेज के रूप में मनोरंजन देगा।

अंत में, यह फिल्म खुद को “पारंपरिक पुलिस बनाम अपराध” की लड़ाई कहेगी तो शायद कम कहा होगा – यह एक्शन, इमोशन, और देशभक्ति का संगम है। नायाब टॉक, धीमी-मोशन वाले मुठभेड़, औऱ नैतिक संदेश के साथ, Romeo S3 अपने दर्शकों को एंटरटेन करके देशद्रोहियों और भ्रष्टाचार की बला से सताए देश को बचाने का संदेश देती है। अगर आप 16 मई को सिनेमाघरों में नई एक्शन गाथा के लिए तैयार हैं, तो Romeo S3 देखने के लिए एक्शन-पैक्ड विजुअल ट्रिट होने वाला है।
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